Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

सरस्वती नदी के वैज्ञानिक प्रमाण मिले

Webdunia
शनिवार, 15 अक्टूबर 2016 (15:08 IST)
प्राचीनकाल में काल में बहने वाली सरस्वती नदी के वैज्ञानिक प्रमाण मिल गए हैं और वैज्ञानिकों के अनुसार हिमालय में आदि बद्री से गुजरात में कच्छ के रण से होकर धौलावीरा तक करीब पौने पांच हजार किलोमीटर तक जमीन के भीतर विशाल जल भंडार का भी पता चला है जिससे हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तरी गुजरात तक के क्षेत्र की प्यास बुझाई जा सकती है।
जाने-माने भूगर्भ वैज्ञानिक प्रोफेसर केएस वाल्दिया की अध्यक्षता वाले एक विशेषज्ञ दल ने केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास, गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती को उत्तर-पश्चिम भारत में पुरावाहिकाओं की प्राक्कलन रिपोर्ट शनिवार को यहां एक कार्यक्रम में सौंपी जिसमें सरस्वती नदी के अस्तित्व में रहने की बात प्रमाणित हुई है।
 
must read :
क्या सचमुच भारत में बहती थी सरस्वती नदी?  
 
इस मौके पर सुश्री भारती ने कहा कि यह विश्व की सबसे प्रामाणिक रिपोर्ट है और इससे प्रमाणित हो गया है कि गुजरात, राजस्थान और हरियाणा में कभी सरस्वती नदी बहती थी जो हिमालय के आदि बद्री से निकलती थी और पश्चिम में गुजरात में हड़प्पा कालीन नगर धौलावीरा तक बहती थी।
 
भारती ने कहा कि वह चाहती थीं कि सरस्वती नदी का कोई अस्तित्व रहा है या नहीं, यह बात धार्मिक एवं आस्था से जुड़े विश्वास के आधार पर नहीं बल्कि ठोस वैज्ञानिक आधार पर प्रमाणित होनी चाहिए और उन्हें खुशी है कि विशेषज्ञ समिति में शामिल वैश्विक स्तर पर बेहद प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों ने व्यापक अध्ययन करके इसकी पुष्टि की है।
 
उन्होंने कहा कि आगे इस बारे में अध्ययन किया जाएगा कि सरस्वती की सुप्त जलधारा की क्षमता कहां कितनी है और उससे गुजरात, राजस्थान और हरियाणा में सूखे का मुकाबला कैसे किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पानी की नयी धारा को लाने की तुलना में पुरानी धारा को पुनर्जीवित करना कम खर्चीला होता है।
 
उन्होंने कहा कि उनकी कोशिश होगी कि प्रकृति एवं पर्यावरण से छेड़छाड़ किए बिना और जैव विविधता की रक्षा करते हुए उसके उपयोग के उपाय किए जाएं। इस रिपोर्ट पर विस्तृत विचार मंथन के लिए जल्द ही एक सम्मेलन बुलाया जाएगा।
 
गौरतलब है कि पौराणिक सरस्वती नदी को जिंदा करने के लिए हरियाणा में पहले से ही खुदाई का काम चल रहा था। हरियाणा की खट्टर सरकार कई बार केंद्र से मदद के लिए गुहार लगा चुकी है। बाद में केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने एक टास्क फोर्स का गठन कर इस पर शोध किए जाने का आदेश दिया था।
 
कुछ महीने पहले जब हरियाणा के यमुनानगर में सरस्वती नदी की खुदाई के दौरान जल निकला तो बड़े-बड़े नेता दर्शन के लिए पहुंचे। अब हरियाणा के तीन जिलों में सरस्वती नदी का प्रवाह क्षेत्र मानते हुए 260 किलोमीटर में खुदाई की तैयारी हो रही है। हिंदू ग्रंथों में सरस्वती नदी का कई जगह जिक्र मिलता है। ऋग्वेद का पहला हिस्सा इसी नदी के किनारे लिखा गया। महाभारत में इस नदी के गायब होने की बात लिखी गई है। नासा और इसरो को अंतरिक्ष से मिले सिग्नल भी इस नदी के रुट की गवाही देते हैं।
 
हरियाणा में खुदाई में जो पानी मिल रहा है वो सरस्वती नदी का है या नहीं, इसकी जांच-पड़ताल अब केंद्र सरकार का टास्क फोर्स करेगी। लेकिन, कहा ये भी जाता है कि करीब 10 हजार साल पहले सरस्वती नदी के किनारे लोग रहते थे। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर 1500 किलोमीटर में बहने वाली सरस्वती नदी लुप्त कैसे हो गई? इसी सवाल के उत्तर के लिए हमने उपर एक लिंक दी हैं जरूर पढ़ें।
(वार्ता)

जरूर पढ़ें

महाराष्ट्र चुनाव : NCP शरद की पहली लिस्ट जारी, अजित पवार के खिलाफ बारामती से भतीजे को टिकट

कबाड़ से केंद्र सरकार बनी मालामाल, 12 लाख फाइलों को बेच कमाए 100 करोड़ रुपए

Yuvraj Singh की कैंसर से जुड़ी संस्था के पोस्टर पर क्यों शुरू हुआ बवाल, संतरा कहे जाने पर छिड़ा विवाद

उमर अब्दुल्ला ने PM मोदी और गृहमंत्री शाह से की मुलाकात, जानिए किन मुद्दों पर हुई चर्चा...

सिख दंगों के आरोपियों को बरी करने के फैसले को चुनौती, HC ने कहा बहुत देर हो गई, अब इजाजत नहीं

सभी देखें

नवीनतम

cyclone dana live : CM मोहन माझी बोले, शून्य मानवीय क्षति का मिशन सफल

cyclone dana से जनजीवन प्रभावित, 500 से ज्यादा ट्रेनों और 300 उड़ानों पर पड़ा असर

जर्मनी का आधा मंत्रिमंडल इस समय भारत में

weather update : चक्रवात दाना का कहर, 3 राज्यों में भारी बारिश

NCP अजित पवार गुट में शामिल हुए जिशान सिद्दीकी, बांद्रा पूर्व से लड़ेंगे चुनाव

આગળનો લેખ
Show comments