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जन्‍मदिवस विशेष: क्‍यों स्वतंत्रता सेनानी सरोजिनी नायडू के बारे में जानना जरूरी है?

जन्‍मदिवस विशेष: क्‍यों स्वतंत्रता सेनानी सरोजिनी नायडू के बारे में जानना जरूरी है?
, रविवार, 13 फ़रवरी 2022 (15:20 IST)
आज 13 फरवरी को सरोजि‍नी नायडू का जन्‍मदिन है। वे एक स्वतंत्रता सेनानी थीं। देश में उनका योगदान अतुलनीय है। उनके जन्‍मदिवस के मौके पर आइए जानते हैं उनके बारे में कुछ बेहद दिलचस्‍प और रोचक जानकारी।

भारत में हर साल 13 फरवरी को सरोजिनी नायडू के जन्मदिन पर राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। सरोजिनी ने हमेशा ही देश सेवा के कार्यों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया।

सरोजिनी नायडू को केवल एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश की पहली महिला राज्यपाल रही थीं।

वे 1925 में कांग्रेस की अध्यक्ष भी बनाई गईं थी। भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय भूमिका के कारण अंग्रेजों ने उन्हें 21 महीने तक जेल में रखा था। भारत की पहली महिला गवर्नर भी थीं।

हैदाराबाद के बंगाली परिवार में अघोरनाथ चट्टोपाध्यायन के घर में हुआ था। वे बचपन से ही पढ़ने लिखने में तेज और कविता लिखने की शौकीन थी। 12 साल की उम्र में ही मेट्रिकुलेशन की परीक्षा कक्षा पास करने के बाद 16 साल की उम्र में लंदन कैंब्रिज चली गई थीं।

सरोजनी नायडू भारत लौटने के बाद जल्दी ही एक कुशल वक्ता के रूप में प्रसिद्ध हो गईं। उन्होंने भारत की आजादी के साथ महिलाओं के अधिकार और विशेषकर महिला शिक्षा के लिए सशक्त आवाज उठाई। 1906 में कलकत्ता में उनके भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और इंडियन सोशल कॉन्फ्रेंस के संबोधन बहुत पसंद किए गए थे।

सरोजिनी नायडू के द्वारा बाढ़ पीड़ितों के लिए किए गए काम के कारण उन्हें 1911 में कैसर-ए- हिंद पदक दिया गया जिसे बाद में उन्होंने जलियांवाला बाग नरसंहार के विरोध में 1919 में लौटा दिया था।

1914 में उनकी मुलाकात इंग्लैंड में गांधी जी से हुई थी जिसके बाद उनमें देशसेवा के प्रति ने नया उत्साह जागृत हो गया था।

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