Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

सबरीमाला मंदिर क्यों चर्चा में है और कौन हैं भगवान अयप्पा...

सबरीमाला मंदिर क्यों चर्चा में है और कौन हैं भगवान अयप्पा...
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सबरीमाला मंदिर इन दिनों काफी सुर्खियों में है। दरअसल, इस मंदिर में 12 से 50 साल की महिलाओं का प्रवेश वर्जित है। कोर्ट ने इस प्रतिबंध को हटा दिया है, जबकि एक बड़ा वर्ग ऐसा भी है जो अभी भी नहीं चाहता कि सदियों पुरानी परंपरा टूटे। मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के खिलाफ केरल में आंदोलन भी शुरू हो गया है। 
 
कहां है यह मंदिर : मलयालम में सबरीमाला का अर्थ पर्वत होता है। केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम से 175 किमी की दूरी पर पंपा नामक स्थान है। सबरीमाला मंदिर सह्याद्रि पर्वतमाला से घिरे हुए पथनाथिटा जिले में घने वनों के बीच स्थित है। भगवान अयप्पा के इस मंदिर में हर साल करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। चूंकि अयप्पा को ब्रह्मचारी माना जाता है, ऐसे में उन महिलाओं के मंदिर में प्रवेश पर प्रतिबंध हैं, जिन्हें मासिक धर्म होता है। महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी की मान्यता यहां 1500 साल पुरानी है। 
 
कौन हैं भगवान अयप्पा : कंब रामायण, महाभागवत के अष्टम स्कंध और स्कंदपुराण के असुर कांड में जिस शिशु शास्ता का जिक्र है, अयप्पा उसी के अवतार माने जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि शास्ता का जन्म मोहिनी वेषधारी विष्णु और शिव के समागम से हुआ था। 18 पहाड़ियों के बीच स्थित इस धाम को सबरीमला श्रीधर्मषष्ठ मंदिर कहा जाता है। यह भी माना जाता है कि परशुराम ने अयप्पा पूजा के लिए सबरीमाला में मूर्ति स्थापित की थी। हालांकि कुछ लोग इसे रामभक्त शबरी के नाम से जोड़कर भी देखते हैं।
 
एक मान्यता यह भी : कुछ लोगों का मानना है कि करीब 700-800 साल पहले दक्षिण में शैव और वैष्णवों के बीच वैमनस्य काफी बढ़ गया था। तब उन मतभेदों को दूर करने के लिए भगवान अयप्पा की परिकल्पना की गई। दोनों को करीब लाने के लिए इस धर्मतीर्थ को विकसित किया गया। 
 
जिस तरह यह 18 पहाड़ियों के बीच स्थित है, उसी तरह मंदिर के प्रांगण में पहुंचने के लिए भी 18 सीढ़ियां पार करनी पड़ती हैं। पहली पांच सीढियों को मनुष्य की पांच इन्द्रियों से जोड़ा जाता है. इसके बाद वाली 8 सीढ़ियों को मानवीय भावनाओं से जोड़ा जाता है। अगली तीन सीढियों को मानवीय गुण और आखिर दो सीढ़ियों को ज्ञान और अज्ञान का प्रतीक माना जाता है। मंदिर में अयप्पा के अलावा मालिकापुरत्त अम्मा, गणेश और नागराजा जैसे उप देवताओं की भी मूर्तियां हैं। 
 
धर्म निरपेक्षता की अद्भुत मिसाल : समन्वय और सद्भाव के प्रतीक इस मंदिर में किसी भी जाति और धर्म को मानने वाला व्यक्ति आ सकता है। धर्म निरपेक्षता की अद्भुत मिसाल यह देखने को मिलती है कि यहां से कुछ ही दूरी पर एरुमेलि नामक जगह पर अयप्पा के सहयोगी माने जाने वाले मुस्लिम धर्मानुयायी वावर का मकबरा भी है, जहां माथा टेके बिना यहां की यात्रा पूरी नहीं मानी जाती।
 
मकर संक्रांति और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के संयोग के दिन, पंचमी तिथि और वृश्चिक लग्न के संयोग के समय ही अयप्पा का जन्म माना जाता है। इसीलिए मकर संक्रांति के दिन धर्मषष्ठ मंदिर में उत्सव मनाया जाता है। उत्सव के दौरान अयप्पा का घी से अभिषेक किया जाता है। पूजा के बाद सबको चावल, गुड़ और घी से बना प्रसाद 'अरावणा' बांटा जाता है। 
 
नवंबर की 17 तारीख को भी यहां बड़ा उत्सव मनाया जाता है। मलयालम महीनों के पहले पांच दिन भी मंदिर के कपाट खोले जाते हैं। इनके अलावा पूरे साल मंदिर के दरवाजे आम दर्शनार्थियों के लिए बंद रहते हैं।
 
यह भी कहा जाता है कि अगर कोई व्यक्ति तुलसी या रुद्राक्ष की माला पहनकर, व्रत रखकर, सिर पर नैवेद्य से भरी पोटली (इरामुड़ी) लेकर यहां पहुंचता है तो उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। 

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

इंदौर के खातीपुरा में सांईबाबा 21 किलो चांदी के सिंहासन पर विराजित होंगे