नई दिल्ली। अरबपति कारोबारी मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) की योजना अपने विमानन ईंधन डिपो की संख्या में 50 प्रतिशत बढ़ोतरी करने की है। इस कारोबार का बड़ा हिस्सा अभी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के पास है और आरआईएल इसमें अधिक बाजार हिस्सेदारी पाना चाहती है।
आरआईएल ने अपनी ताजा वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि विमानन क्षेत्र में पिछले 52 महीनों में लगातार हासिल की गई दो अंकों की वृद्धि कोरोनावायरस महामारी के चलते इस समय भले ही रुक गई हो, लेकिन भारत अगले पांच वर्षों तक सबसे तेजी से बढ़ने वाले विमानन बाजारों में बना रहेगा।
किसी एक स्थान (जामनगर-गुजरात) पर दुनिया की सबसे बड़ी रिफाइनरी का संचालन करने वाली आरआईएल ने हवाई अड्डों पर विमानों में ईंधन भरने के कारोबार में अपनी मौजूदगी बढ़ाने की योजना बनाई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में फरवरी में भी हवाई यातायात नौ प्रतिशत बढ़ा। कोविड-19 महामारी के बाद भी मार्च में भारत सबसे बड़ा अप्रभावित बाजार था। हालांकि इसके बाद लॉकडाउन से भारतीय विमानन क्षेत्र भी प्रभावित हुआ।
वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार इस दौरान आरआईएल ने घरेलू बाजार में अपनी हिस्सेदारी में सुधार किया। आरआईएल ने कहा कि वित्त वर्ष 2019-20 के अंत तक आरआईएल अपने नेटवर्क 30 स्थानों से बढ़ाकर 45 स्थानों तक कर सकती है और भारतीय विमानन बाजार में वृद्धि के अवसरों का लाभ उठाने के लिए अच्छी तरह से तैयार है।
भारत में इस समय 256 विमानन ईंधन स्टेशन हैं, जिनमें से सार्वजनिक क्षेत्र की इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन के पास सबसे अधिक 119 स्टेशन हैं। भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन के पास 61 और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड के पास बाकी 44 हैं।
पेट्रोलियम मंत्रालय के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार आरआईएल 31 स्टेशनों के साथ निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी विमानन ईंधन की खुदरा विक्रेता है।(भाषा)