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कश्मीर में पैलेट गन का विकल्प जल्द-राजनाथसिंह

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गुरुवार, 25 अगस्त 2016 (12:43 IST)
श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के दो दिवसीय दौरे गए केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथसिंह ने गुरुवार को कहा कि पत्थर उठाने वाले युवाओं को समझाना जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जल्द ही पैलेट गन का विकल्प दिया जाएगा। 
 
 
 
जम्मू-कश्मीर में गुरुवार को लगातार 48वें दिन जारी अशांति के बीच सिंह ने कहा कि कश्मीर के बिना भारत का कोई भविष्य नहीं है। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 'कश्मीरियत, इंसानियत और जम्हूरियत' नीति दोहराते हुए यह संकेत देने की कोशिश की कि राजग सरकार किसी के भी साथ बातचीत करने के लिए तैयार है।
 
अपने कश्मीर दौरे के दूसरे दिन सिंह ने कहा कि हम भारत के भविष्य को आकार देना चाहते हैं। अगर कश्मीर का भविष्य अनिश्चित है तो भारत के भविष्य को भी आकार नहीं दिया जा सकता। संवाददाता सम्मेलन में सिंह के साथ मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती भी मौजूद थीं। 
 
कश्मीर के लोगों तक पहुंचने की केंद्र की कोशिश के तहत सिंह का 1 माह में कश्मीर का यह दूसरा दौरा है। गृहमंत्री ने कहा कि पैलेट गनों के विकल्प पर विचार करने के लिए उनके द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट 2 या 3 दिन में मिल जाने की उम्मीद है। 
 
हिंसक प्रदर्शनकारियों पर पैलेट गनों का उपयोग किए जाने के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में गृहमंत्री ने कहा कि जैसा कि उन्होंने कश्मीर घाटी की अपनी पिछली यात्रा में वादा किया था, उन्होंने एक विशेषज्ञ समिति गठित की है, जो 2 माह में रिपोर्ट देगी।
 
उन्होंने कहा कि अभी केवल 1 माह ही हुआ है और समिति की रिपोर्ट 2 या 3 दिन में मिल जाएगी। कुछ ही दिन में हम पैलेट गनों का एक विकल्प देंगे। वर्ष 2010 में कहा गया था कि पैलेट गन गैरघातक हथियार है जिससे कम से कम नुकसान हो सकता है, लेकिन अब हमें लगता है कि इसका कोई विकल्प होना चाहिए। गृहमंत्री ने संकेत दिया कि राजग सरकार बातचीत के लिए तैयार है। 
 
यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार हुर्रियत से बात करना चाहती है? उन्होंने सीधा जवाब देने से बचते हुए कहा कि मैं सिर्फ यह कहूंगा कि हम 'जम्हूरियत, कश्मीरियत और इंसानियत' के दायरे में बात करने के इच्छुक हैं। गृहमंत्री ने कहा कि बच्चे और युवा जिन्हें कलम और लैपटॉप हाथ में लेना चाहिए था, उन्होंने सुरक्षा बलों पर पथराव करने के लिए पत्थर उठा लिए।
 
सिंह ने कहा कि ये कौन लोग हैं? उन्हें पत्थर हाथ में लेने की अनुमति किसने दी? क्या वे लोग उनके (युवाओं के) भविष्य को आकार दे सकते हैं? हम कश्मीरी बच्चों का भविष्य भारतीय बच्चों के भविष्य से जुड़ा हुआ देखते हैं। 
 
उन्होंने कहा कि मैं कश्मीरी लोगों से उन लोगों की पहचान करने की अपील करता हूं, जो घाटी में ऐसे हालात पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। कश्मीर के भविष्य के बिना भारत का भविष्य नहीं हो सकता। 
 
गृहमंत्री ने कहा कि 8 जुलाई को हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद घाटी के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शन कर रहे लोगों से निपटते समय सुरक्षा बलों को अधिकतम संयंम बरतने के लिए कहा गया और वे ऐसा कर रहे हैं। वे प्रदर्शनकारियों के गुस्से का सामना भी कर रहे हैं जिसके फलस्वरूप अब तक 4,500 सुरक्षाकर्मी घायल हो गए हैं। 
 
सिंह ने कहा कि मैं हर व्यक्ति से अपील करना चाहूंगा कि कश्मीर में बाढ़ (वर्ष 2014 में) के दौरान सुरक्षा बलों की भूमिका को न भूलें। गृहमंत्री ने कहा कि पत्थर हाथों में उठाने वाले दिग्भ्रमित युवाओं को समझाया जाना चाहिए। अगर कुछ भ्रमित युवा पत्थर उठा रहे हैं तो उन्हें समझाया जाना चाहिए। बच्चे तो बच्चे हैं। हम कश्मीर के भविष्य को भारत के भविष्य से अलग करने की बात नहीं सोच सकते। 
 
सिंह ने कहा कि सरकार ने कश्मीर में हमारे कुछ युवाओं को गुमराह करने की कोशिश कर रहे तत्वों की पहचान की है। उन्होंने कश्मीर में युवाओं को गुमराह कर रहे लोगों से घाटी के बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ न करने की अपील की।
 
सिंह ने कहा कि एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल जल्द ही जम्मू-कश्मीर का दौरा कर विभिन्न वर्गों के लोगों के साथ बातचीत करेगा और मुख्यमंत्री से इसके लिए इंतजाम करने को कहा गया है। (भाषा)

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