नई दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र के पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) ने उस ऑडिट या जांच के बारे में जानकारी देने से मना कर दिया है जिससे बैंक में 13,000 करोड़ रुपए से अधिक की धोखाधड़ी का पता चला। बैंक ने उन उपबंधों का हवाला देते हुए जानकारी देने से इंकार किया है, जो ऐसी सूचना देने पर रोक लगाता है जिससे जांच या अभियोजन प्रभावित हो सकती है।
सूचना के अधिकार कानून (आरटीआई) के तहत पूछे गए सवाल के जवाब में पीएनबी ने घोटाले से संबंधित जांच रिपोर्ट की प्रति साझा करने से मना कर दिया। पीएनबी ने पीटीआई-भाषा संवाददाता के आरटीआई आवेदन के जवाब में कहा कि चूंकि मामले की जांच केंद्रीय जांच एजेंसियां व कानून प्रवर्तन एजेंसियां कर रही हैं, ऐसे में जो सूचना मांगी गई है, सूचना के अधिकार कानून, 2005 की धारा 8 (1) (एच) के तहत उसकी जानकारी नहीं देने की छूट है।
यह धारा वैसी सूचना देने पर रोक लगाती है जिससे जांच की प्रक्रिया या गड़बड़ी करने वाले के खिलाफ अभियोजन प्रक्रिया प्रभावित होती हो। बैंक से उस जांच का ब्योरा देने को कहा गया था जिससे धोखाधड़ी का पता चला। साथ ही जांच रिपोर्ट की प्रति उपलब्ध कराने को कहा गया था।
बैंक क्षेत्र में अब तक के सबसे बड़े घोटाले का पता इस साल की शुरुआत में चला। इस घोटाले को अंजाम हीरा कारोबारी नीरव मोदी और उसके मामा तथा गीतांजलि जेम्स के प्रवर्तक मेहुल चोकसी ने देश के दूसरे सबसे बड़े बैंक के कुछ अधिकारियों के साथ मिलकर दिया। मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो के साथ आयकर विभाग तथा प्रवर्तन निदेशालय कर रहा है। रिजर्व बैंक ने जरूरी कार्रवाई के लिए मामले की विस्तृत जांच शुरू की है। इससे पहले आरबीआई ने भी पीएनबी के मामले में आरटीआई के तहत इस बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देने से मना कर दिया था। (भाषा)