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लद्दाख को रास नहीं आया केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा, बर्फीले रेगिस्तान में क्यों भड़की आग?

पुनः राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर आंदोलन

लद्दाख को रास नहीं आया केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा, बर्फीले रेगिस्तान में क्यों भड़की आग?

सुरेश एस डुग्गर

, मंगलवार, 6 फ़रवरी 2024 (09:30 IST)
  • 30 सालों के आंदोलन के बाद मिला था केंद्र शासित राज्य का दर्जा
  • केंद्र सरकार की अनदेखी ने बढ़ाई नाराजगी
  • लोगों का मानना है कि बेहतर था जम्मू कश्मीर का हिस्सा होना
Ladakh news in hindi : जो केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा 30 सालों के आंदोलन के बाद बर्फीले रगिस्तान लद्दाख के लोगों ने 5 अगस्त 2019 को पाया था वह उन्हें रास नहीं आ रहा है। नतीजतन बर्फीले रेगिस्तान में आग के शोले केंद्र सरकार की अनदेखी और कथित उपनिवेशवाद की रणनीति भड़का रही है।
 
लद्दाख में - जिसमें लेह और करगिल जिले शामिल हैं- प्रदेश को पुनः राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर अब आंदोलनरत हैं और अपनी मांगों के समर्थन में वे पिछले एक साल से कई बार शक्ति प्रदर्शन कर चुके हैं।
 
लद्दाख की सर्वोच्च संस्था लद्दाख बुद्धिस्ट एसोसिएशन के नेता और वरिष्ठ उपाध्यक्ष चेरिंग दोरजे कह चुके हैं कि कश्मीर का हिस्सा होना लद्दाख के लोगों के लिए बेहतर था। वे अब यह भी मानते हैं कि केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन की तुलना में जम्मू और कश्मीर के पूर्ववर्ती राज्य में बेहतर थे। दरअसल लद्दाख अपने अधिकारों का संरक्षा चाहता है। वे विशेषाधिकार तथा पर्यावरण सुरक्षा चाहते हैं।
 
इसके लिए थ्री इडियटस से प्रसिद्ध हुए सोनम वांगचुक पांच दिनों तक बर्फ के ऊपर माइन्स 20 डिग्री तापमान में क्लाइमेट फास्ट भी कर चुके हैं। हाल ही में वे भूख हड़ताल पर भी थे। उनके साथ प्रशासन द्वारा किए गए कथित व्यवहार के कारण लद्दाख की जनता का गुस्सा और भड़का है।
 
लेह जिले के आलची के पास उलेयतोकपो में जन्मे 56 वर्षीय वांगचुक सामुदायिक शिक्षा के अपने माडल के लिए दुनियाभर में जाने जाते हैं। रेमन मैग्सेसे अवार्ड पा चुके वांगचुक लद्दाख क्षेत्र को विशेष अधिकारों और पर्यावरणीय सुरक्षा की मांग के लिए संघर्ष कर रहे हैं। वह चाहते हैं कि हिमालयी क्षेत्र को बचाने के लिए लद्दाख को विशेष दर्जे की जरूरत है।
 
भारतीय संविधान की छठी अनुसूची के तहत जातीय और जनजातीय क्षेत्रों में स्वायत्त जिला परिषदों और क्षेत्रीय परिषदों के अपने-अपने क्षेत्रों के लिए कानून बनाने का अधिकार दिया गया है। फिलहाल भारत के चार राज्य मेघालय असम, मिजोरम और त्रिपुरा के दस जिले इस अनुसूची का हिस्सा हैं। लद्दाख जनता और वांगचुक की मांग है कि लद्दाख को भी इस अनुसूची के तहत विशेषाधिकार दिए जाएं।
 
इस बीच लद्दाख बुद्धिस्ट एसोसिएशन के नेता और वरिष्ठ उपाध्यक्ष चेरिंग दोरजे आरोप लगा चुके हैं कि केंद्र उच्चाधिकार प्राप्त समिति बनाकर लद्दाखी लोगों को मूर्ख बनाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन लद्दाख के लिए राज्य और 6वीं अनुसूची की उनकी मांग को मानने से इनकार कर रहा है। दोरजे कहते थे कि वे हमें मूर्ख बनाने की कोशिश कर रहे हैं। हम समझते हैं कि केंद्र हमारी राज्य की मांग और छठी अनुसूची के खिलाफ है।
Edited by : Nrapendra Gupta 

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