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प्रियंका गांधी के ट्वीट के बाद आजमगढ़ में 'दलित उत्पीड़न' की सियासत गरमाई

प्रियंका गांधी के ट्वीट के बाद आजमगढ़ में 'दलित उत्पीड़न' की सियासत गरमाई
, मंगलवार, 6 जुलाई 2021 (00:33 IST)
आजमगढ़/ लखनऊ (उत्‍तर प्रदेश)। आजमगढ़ जिले के रौनापार थाना क्षेत्र के पलिया गांव में करीब एक सप्ताह पूर्व पुलिस के जवानों पर हुए हमले एवं आरोपियों के घरों में तोड़फोड़ के मामले में कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा के ट्वीट के बाद आजमगढ़ में 'दलित उत्पीड़न' को लेकर सियासत गरमा गई है। कांग्रेस के अलावा भीम आर्मी और समाजवादी पार्टी भी इस मामले को लेकर आक्रामक हो गई हैं।

इस बीच, भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस महासचिव के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि जो लोग ट्वीट करते हैं, उन्हें घटना की पड़ताल करनी चाहिए और भ्रम नहीं फैलाना चाहिए। कांग्रेस पार्टी दलितों के पुलिस उत्पीड़न के मुद्दे को लेकर दलितों के साथ पलिया गांव में धरने पर बैठ गई है। भीम आर्मी भारत एकता मिशन के संस्थापक और आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद ने 19 जुलाई को पलिया गांव पहुंचकर पीड़ितों को न्याय दिलाने की घोषणा की है। दूसरी तरफ आजमगढ़ के पुलिस अधीक्षक सुधीर कुमार सिंह ने कहा कि पुलिस पर हमला हुआ है और इस मामले में राजनीति उचित नहीं है।

प्रियंका गांधी वाड्रा ने सोमवार को ट्वीट किया, आजमगढ़, रौनापार के पलिया गांव में उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा दलित परिवारों पर हमला करने की खबर आ रही है। वहां कई मकानों को तोड़ा गया, सैकड़ों पर मुकदमा दर्ज किया गया। यह सरकारी अमले की दलित विरोधी मानसिकता का परिचायक है। दोषियों पर तत्काल कार्रवाई हो और पीड़ितों को मुआवजा दिया जाए।

दो दिन पूर्व आजाद ने ट्वीट किया था, जिला आजमगढ़, ग्राम पलिया के प्रधान मुन्ना पासी जी के घर पर की गई तोड़फोड़ प्रशासन की दलित विरोधी मानसिकता का प्रमाण है। (मुख्यमंत्री) योगी (आदित्यनाथ) जी दलितों पर आपकी पुलिस द्वारा किया गया अत्याचार दलित समाज भूलेगा नहीं। मैं 19 जुलाई को पीड़ित परिवार से मिलकर उन्हें न्याय दिलाने खुद आजमगढ़ आ रहा हूं।

समाजवादी पार्टी (सपा) के जिलाध्यक्ष हवलदार यादव दो दिन पहले पलिया गांव पहुंचे थे। उन्होंने बाद में कहा, दलितों के साथ पुलिस ने ज्यादती की है। दलितों के मकान ढहाए हैं और दलितों के घरों में लूटपाट की है। इस मामले को लेकर हम न्याय दिलाने के लिए उच्‍च न्‍यायालय में जाएंगे।

गौरतलब है कि रौनापार थाना क्षेत्र के पलिया गांव में 29 जून की शाम को गांव के ही एक डॉक्टर से कुछ लोगों का विवाद हो गया था। सूचना के बाद पुलिस के दो जवान मौके पर पहुंचे। आरोप है कि पुलिस के जवान वहां पहुंचे तो गांव के ग्राम प्रधान एवं उनके समर्थकों ने पुलिस टीम पर हमला किया। इस हमले में दो पुलिसकर्मी घायल हुए, जिसमें से एक की हालत अब भी गंभीर है।

पुलिस पर हमले के बाद देर रात पुलिस ने दलित बस्ती की घेराबंदी की। मुख्य आरोपी बताए जा रहे ग्राम प्रधान के मकान में तोड़फोड़ की एवं मकान को गिरा दिया। परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने उनके घरों में लूटपाट भी की। पुलिस की कार्रवाई को देखकर ग्रामीण सहम गए और इसके बाद पुरुष एवं बच्चे घर छोड़कर भाग गए। दूसरे दिन पुलिस ने 11 नामजद एवं 135 अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया।

इस घटना के बाद कांग्रेस ने पुलिस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और दलित और कांग्रेस कार्यकर्ता बस्ती में धरने पर बैठ गए। पिछले कई दिनों से कांग्रेस पार्टी दर्ज किए गए मामले को वापस लेने और दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की मांग कर रही है।
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इस बीच भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता हरिश्चन्द्र श्रीवास्तव ने प्रियंका गांधी वाड्रा के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सोमवार को कहा, जो लोग ट्वीट करते हैं उन्हें घटना की पड़ताल करनी चाहिए तथा झूठ और भ्रम फैलाने के बजाय आपराधिक तत्वों के खिलाफ खड़ा होना चाहिए।

श्रीवास्तव ने कहा, योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व की सरकार में किसी भी अपराधी या ऐसे किसी तत्व को कानून अपने हाथ में लेने और गुंडागर्दी की कतई छूट नहीं है। योगीराज में कोई दबंगई चलने वाली नहीं है।
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इस सिलसिले में भाजपा के सांसद बृजलाल ने कहा, पुलिस घटनास्थल पर गई थी और सिपाही पर जानलेवा हमला हुआ, जो एक जघन्य अपराध है और पुलिस जवानों पर हमला करने वालों पर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए। पुलिसकर्मी पर ऐसे हमले से जनमानस में आतंक का माहौल पैदा होता है।
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उन्होंने कहा, अपराध करने वाला चाहे जो भी हो, उसके खिलाफ कार्रवाई होनी ही चाहिए। इसमें दलित या ग़ैर-दलित होने का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि पुलिस द्वारा गुस्से में निर्दोषों के घरों में तोड़फोड़ करना भी ग़लत है और इसकी जांच होनी चाहिए। दलित समाज से आने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेता बृजलाल उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक और अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष रह चुके हैं।(भाषा)

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