लोकसभा चुनाव के बाद अध्यक्ष पद से संकट से जूझ रही कांग्रेस में अब लगता है प्रियंका युग की शुरुआत होने जा रही है। एक ओर पार्टी के नेताओं ने राहुल के बाद अब प्रियंका को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने की मांग तेज कर दी है, तो दूसरी ओर प्रियंका ने देश के सबसे बड़े राज्य उत्तरप्रदेश में अपनी पॉवर पॉलिटिक्ट की शुरुआत कर दी है।
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सक्रिय सियासत में एंट्री करने वाली प्रियंका गांधी लोकसभा में मिली करारी हार से बिना विचलित हुए उत्तरप्रदेश में पार्टी में जान फूंकने की पूरी कोशिश कर रही है।
चुनाव नतीजों के बाद जहां कांग्रेस में राष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व को लेकर भ्रम की स्थिति दिखाई दे रही है, वहीं उत्तरप्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी ने मिर्जापुर में चुनार के किले से 2022 के विधानसभा चुनाव का एक तरह चुनावी शंखनाद कर दिया है।
उत्तरप्रदेश में अपनी सियासी जमीन तैयार करने में जुटी प्रियंका गांधी सूबे की योगी सरकार को घेरने का कोई भी मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहती है।
सोनभद्र में जमीनी विवाद में 11 लोगों की हत्या के बाद शुक्रवार को प्रियंका गांधी पीड़ितों के परिजनों से मिलने के लिए जा रही थीं तो पुलिस ने उन्हें रोका लिया। पुलिस के रोकने पर प्रियंका ने खुद मोर्चा संभालते हुए पुलिस के अधिकारियों से सवाल-जवाब किया और फिर बीच सड़क पर ही धरने पर बैठ गईं। प्रियंका के धरने को खत्म करने के लिए पुलिस ने लाख कोशिश की लेकिन प्रियंका सोनभद्र जाने पर अड़ी रहीं जिसके बाद उन्हें हिरासत में लेकर मिर्जापुर के चुनाव के किले मे स्थित गेस्ट हाउस में लाया गया जहां वे पहले धरने पर बैठी, बाद में रात गुजारी।
रातभर प्रशासन के अधिकारी प्रियंका के मान मनौव्वल में जुटे रहे, लेकिन प्रियंका सोनभद्र जाने पर अड़ी रहीं। देर रात प्रियंका ने ट्वीट कर साफ कर दिया कि वे पीड़ितों से बिना मिले वापस नहीं जाएंगी। प्रियंका ने अपनी गिरफ्तारी को भी गैरकानूनी बताया है।
कांग्रेस में नई ऊर्जा फूंकती प्रियंका : लोकसभा चुनाव में हार और पार्टी अध्यक्ष पद से राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं को जो मनोबल टूट हुआ था उसको प्रियंका की इस धरना पॉलिटिक्स से एक तरह से नई संजीवनी मिलेगी।
भले ही लोकसभा चुनाव में पूर्वी उत्तरप्रदेश की प्रभारी रही प्रियंका कोई कमाल नहीं दिखा पाई हों, लेकिन अपने सियासी पारी के पहले जमीनी संघर्ष का प्रियंका ने जोरदार आगाज कर दिया है।
लोकसभा चुनाव के विपरीत परिणामों के बाद भी पार्टी ने प्रियंका को पूरे उत्तरप्रदेश की जिम्मेदारी देकर उन पर जो बड़ा दांव खेला है प्रियंका उस पर खरा उतरने की कोशिश करती हुई दिखाई दे रही हैं।
उत्तरप्रदेश में अभी विधानसभा चुनाव में करीब ढाई साल का समय है और प्रियंका की कोशिश है कि वे संगठन को फिर से खड़ा कर सकें। लोकसभा चुनाव के समय ही प्रियंका ने उत्तरप्रदेश में पार्टी संगठन को खड़ा करने की जो शुरुआत की थी अब वे उस पर आगे बढ़ती हुई दिखाई दे रही हैं।
अमेठी से राहुल की हार के बाद उत्तरप्रदेश जैसे बड़े राज्य में कांग्रेस को फिर से खड़ा करने और 2022 के जमीन तैयार करने के लिए एक ऐसे नेता की जरूरत थी जो सड़क पर संघर्ष कर सके और अब प्रियंका ने सोनभद्र पर सियासी संग्राम छेड़कर इसका शंखनाद भी कर दिया है।
ऐसे में कुछ दिन पहले प्रियंका का नेल्सन मंडेला की जयंती पर ट्वीट के जरिए कही गई बात कि मंडेला ने कहा था कि मुझे राजनीति में होना चाहिए उनकी भविष्य की राजनीति के बारे में कई संकेत देता है...