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पीएम मोदी को असम में फिर दिखाए काले झंडे, प्रदर्शनकारी हिरासत में, नागरिकता विधेयक का विरोध

पीएम मोदी को असम में फिर दिखाए काले झंडे, प्रदर्शनकारी हिरासत में, नागरिकता विधेयक का विरोध
, शनिवार, 9 फ़रवरी 2019 (19:10 IST)
गुवाहाटी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को गुवाहाटी में नागरिकता (संशोधन) विधेयक के विरोध में काले झंडे दिखाए गए। लोगों ने पुतले जलाने के साथ निर्वस्त्र होकर इसके विरोध में प्रदर्शन किया। निर्वस्त्र होकर जनता भवन (राज्य सचिवालय) के सामने विरोध प्रदर्शन करने के बाद कृषक मुक्ति संग्राम समिति (केएमएसएस) के 6 कार्यकर्ताओं को शनिवार को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। केएमएसएस कार्यकर्ता कार से यहां पहुंचे थे।
 
ताई अहोम युवा परिषद ने राज्य में प्रधानमंत्री के दौरे का विरोध करने के लिए 12 घंटे का बंद बुलाया था जिसका असर असम के ऊपरी जिले तिनसुकिया, डिब्रूगढ़, सिबसागर, लखीमपुर और जोरहट में देखने को मिला। इन जिलों में वाहन सड़कों से नदारद रहे और दुकानें बंद रहीं। केएमएसएस सहित 70 अन्य संगठनों ने इस बंद का समर्थन किया।
 
ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) ने दावा किया कि पुलिस ने उसके कार्यकर्ताओं को तितर-बितर करने के लिए लाठियों का हल्का बलप्रयोग किया। चांगसारी में आयोजित प्रधानमंत्री की रैली से 10 किलोमीटर दूर अमिगांव-हाजो रोड पर कार्यकर्ता मोदी को काले झंडे और काले गुब्बारे दिखाने के लिए जमा हुए थे। राज्य के कई जिलों में प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री के पुतले जलाए और हवा में काले गुब्बार छोड़े।
 
राजभवन से हवाई अड्डे जा रहे मोदी को मचखोवा इलाके में असम जातीयतावादी युवा छात्र परिषद (एजेवाईसीपी) के प्रदर्शनकारियों ने काले झंडे दिखाए। इसके कुछ मिनटों बाद ही छात्रों के एक समूह ने प्रधानमंत्री को उस वक्त काले झंडे दिखाए, जब उनका काफिला जालुकबारी इलाके में गुवाहाटी विश्वविद्यालय के पास से गुजर रहा था। पुलिस ने बताया कि दोनों समूहों के सदस्यों को हिरासत में ले लिया गया है। इससे पहले मोदी के शुक्रवार को गुवाहाटी उतरने के बाद हवाई अड्डे से राजभवन के रास्ते में उन्हें कम से कम 4 स्थानों पर काले झंडे दिखाए गए थे।
 
गौरतलब है कि 8 जनवरी को लोकसभा में पारित हुआ नागरिकता (संशोधन) विधेयक बांग्लादेश, पाकिस्तान एवं अफगानिस्तान के गैरमुस्लिमों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान करता है। पूर्वोत्तर में कई संगठनों ने इस विधेयक का यह दावा करते हुए विरोध किया है कि वह क्षेत्र के मूल निवासियों के अधिकारों को कमतर कर देगा। (भाषा)

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