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Power Shortage In India: बिजली संकट से जूझते भारत के कई राज्य, उपभोक्ताओं पर भी हो सकता है असर

Power Shortage In India: बिजली संकट से जूझते भारत के कई राज्य, उपभोक्ताओं पर भी हो सकता है असर
, गुरुवार, 21 अप्रैल 2022 (19:39 IST)
भारत में बढ़ती गर्मी के ‍बीच दर्जन भर राज्यों में बिजली संकट उत्पन्न होने की आशंका जताई जा रही है। इसका असर पंजाब, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश में दिखाई भी देने लगा है, जहां बिजली की कटौती शुरू हो चुकी है। दरअसल, इसका कारण भीषण गर्मी और औद्योगिक मांग के चलते बिजली की बढ़ती खपत को भी बताया जा रहा है। साथ ही कोयला संकट से बिजली का उत्पादन भी प्रभावित हो रहा है। अप्रैल अंत तक और मई में बिजली की मांग और बढ़ सकती है। दरअसल, अक्टूबर, 2021 से ही देश के 12 राज्यों में कोयला आपूर्ति का संकट देखा जा रहा है। इतना ही नहीं आयातित कोयला महंगा होने से लागत बढ़ेगी, जिसका असर सीधा उपभोक्ता को होगा। 
 
दरअसल, अप्रैल महीने के पहले पखवाड़े में ही घरेलू स्तर पर बिजली की मांग बढ़कर 38 साल के उच्चस्तर पर पहुंच गई है। दुबे ने कहा कि अक्टूबर 2021 में बिजली की आपूर्ति मांग से 1.1 प्रतिशत कम थी, लेकिन अप्रैल, 2022 में यह फासला बढ़कर 1.4 फीसदी हो गया है।
 
इसका नतीजा यह हुआ है कि आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, झारखंड एवं हरियाणा जैसे राज्यों में बिजली कटौती होने लगी है। उत्तर प्रदेश में भी बिजली की मांग बढ़कर 21,000 मेगावॉट पर पहुंच गई है लेकिन आपूर्ति सिर्फ 19,000-20,000 मेगावॉट की ही हो रही है।
 
12 राज्यों में बिजली संकट का खतरा : अखिल भारतीय बिजली इंजीनियर महासंघ (AIPEF) ने हाल ही में चेतावनी दी कि तापीय बिजली घरों को चलाने के लिए 12 राज्यों में ‘कोयले के कम भंडार’ की स्थिति की वजह से बिजली संकट पैदा हो सकता है। महासंघ के प्रमुख शैलेंद्र दुबे का कहना है कि हमने घरेलू तापीय बिजली संयंत्रों को चलाने के लिए जरूरी कोयला भंडार में कमी की तरफ केंद्र एवं राज्यों की सरकारों का ध्यान आकृष्ट किया है। हमने चेतावनी दी है कि 12 राज्यों में बिजली संकट पैदा होने का खतरा मंडरा रहा है।
 
पिछले साल बंद हुआ था एक संयंत्र : संघ के मुताबिक उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में स्थित अनपरा ताप-बिजली परियोजना में 5.96 लाख टन कोयले का स्टॉक होना चाहिए लेकिन अभी उसके पास सिर्फ 3.28 लाख टन कोयला ही है। इसी तरह हरदुआगंज परियोजना के पास सिर्फ 65,700 टन कोयला है जबकि उसके पास 4.97 लाख टन कोयले का भंडार होना चाहिए। यह स्थिति प्रबंधन की दूरदर्शिता की कमी के कारण पैदा हुई है। पिछले साल अक्टूबर में भी परीछा संयंत्र को कोयला नहीं मिलने के कारण बंद करना पड़ा था। तमिलनाडु, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ को भी कोयले की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है।
 
क्या कहती है रिपोर्ट : केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) की नवीनतम दैनिक कोयला रिपोर्ट का हवाला देते हुए संगठन ने कहा है कि कहा गया है कि घरेलू कोयले का इस्तेमाल करने वाले कुल 150 ताप-विद्युत स्टेशनों में से 81 में कोयले का भंडार गंभीर स्थिति में है। निजी क्षेत्र के ताप विद्युत संयंत्रों की स्थिति भी उतनी ही खराब है, जिनके 54 में से 28 संयंत्रों में कोयले का भंडार गंभीर स्थिति में है।
 
देश के उत्तरी क्षेत्र में सबसे ज्यादा खराब स्थिति राजस्थान और उत्तर प्रदेश की है। राजस्थान में 7,580 मेगावॉट क्षमता वाले सभी सातों तापीय संयंत्रों के पास बहुत कम स्टॉक बचा है। उत्तर प्रदेश में भी अनपरा संयंत्र को छोड़कर तीन सरकारी संयंत्रों में कोयला स्टॉक की स्थिति गंभीर बनी हुई है।
 
पंजाब के राजपुरा संयंत्र में 17 दिनों का कोयला भंडार बचा है, जबकि तलवंडी साबो संयंत्र के पास चार दिन का स्टॉक है। वहीं जीवीके संयंत्र के पास कोयले का स्टॉक खत्म हो चुका है। रोपड़ और लहर मोहब्बत संयंत्रों में भी क्रमशः 9 एवं छह दिनों का भंडार ही बचा है।

बयान के मुताबिक, हरियाणा में यमुनानगर संयंत्र में 8 दिन और पानीपत संयंत्र में सात दिन का स्टॉक है। खेदार बिजली संयंत्र में सिर्फ एक इकाई के ही सक्रिय रहने से 22 दिनों का स्टॉक बचा हुआ है।
 
देश की उत्तरी राज्यों में शाम के समय 2,400 मेगावॉट बिजली की कमी दर्ज की जा रही है। इसमें उत्तर प्रदेश से 1,200 मेगावॉट और हरियाणा से 600 मेगावॉट की कमी रिकॉर्ड की गई है। 
 
मार्च में बढ़ा बिजली उत्पादन : कोयला आधारित बिजलीघरों का उत्पादन मार्च महीने में सालाना आधार पर 3.12 प्रतिशत बढ़कर 10,027.6 करोड़ यूनिट रहा। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, तापीय बिजलीघरों से विद्युत उत्पादन एक साल पहले इसी महीने में 9,723.8 करोड़ यूनिट था। इस साल फरवरी में यह 8,553.4 करोड़ यूनिट था।
 
देश में बिजली उत्पादन में कोयला आधारित बिजलीघरों की हिस्सेदारी 70 प्रतिशत से अधिक है। जबकि कुल कोयला खपत में इन बिजलीघरों की हिस्सेदारी करीब 75 प्रतिशत है। इस साल मार्च में कुल मिलाकर बिजली उत्पादन (सभी स्रोतों से) मार्च, 2020 के मुकाबले 29.02 प्रतिशत अधिक है। जबकि मार्च, 2021 के मुकाबले 6.35 प्रतिशत ज्यादा है।

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