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क्‍यों पीएम मोदी की सुरक्षा में चलने वाले गार्ड्स के हाथ में होते हैं काले बैग, कैसे और कौन उठाता है सुरक्षा का जिम्‍मा?

क्‍यों पीएम मोदी की सुरक्षा में चलने वाले गार्ड्स के हाथ में होते हैं काले बैग, कैसे और कौन उठाता है सुरक्षा का जिम्‍मा?
, रविवार, 16 जनवरी 2022 (16:27 IST)
पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काफि‍ले को पंजाब दौरे के दौरान कुछ देर के लिए रोका गया था। इसे सुरक्षा से जुडा मामला बताया गया था। इसके बाद लंबे समय तक राजनीतिक गलियारों में इसे लेकर विवाद भी हुआ था।

जब पीएम की सुरक्षा की बातें हो रही हैं वहीं क्या कभी आपने ये सोचा है कि आखिर पीएम की सुरक्षा का जो बड़ा काफिला चलता है वो ऑपरेट कैसे करता है या फिर पीएम के साइड में जो लोग काला बैग लेकर चलते हैं वो कौन होते हैं और ये क्यों होता है?

प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए एसपीजी यानी स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप जिम्मेदार होता है। इसी ग्रुप की जिम्मेदारी होती है कि प्रधानमंत्री के जाने से पहले और जाने के बाद तक के सारे इंतज़ाम देखे जाएं और वो जहां भी जा रहे हों वो उनके साथ चलें।

यही ग्रुप देश ही नहीं विदेशी दौरों पर भी प्रधानमंत्री के साथ ही चलते हैं। ये सिर्फ पीएम के साथ ही नहीं बल्कि उनके परिवार वालों के साथ भी चलते हैं। समझ लीजिए कि प्रधानमंत्री जहां जाएंगे वहां ये लोग मौजूद होंगे।
उनके आवास में, उनके घर वालों के साथ, देश के दौरे में, रैलियों में, किसी सार्वजनिक फंक्शन में, संसद में, विदेशी दौरों में आदि।

ये सिर्फ मौजूदा प्रधानमंत्री यानि नरेंद्र मोदी के लिए नहीं है, बल्कि‍ ये पहले के प्रधानमंत्री के लिए भी है। इस फोर्स का गठन ही हाई प्रोफाइल सुरक्षा के लिए किया गया था। एसपीजी 1988 में बनाई गई थी और इसे देश की सबसे पुख्ता सुरक्षा एजेंसी माना जाता है। बीबीसी की एक रिपोर्ट कहती है कि हर साल इस एजेंसी पर 375 करोड़ से ज्यादा का खर्च किया जाता है।

रिपोर्ट्स के अनुसार प्रधानमंत्री के सुरक्षा दौरे से पहले खास तैयारियां की जाती हैं। अगर कोई चुनाव रैली या कोई दौरा है तो पहले उस जगह का निरिक्षण किया जाता है। चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा बल तैनात होते हैं और बॉम्ब आदि की जांच भी की जाती है।

उनके आने से पहले ही एसपीजी की एक टुकड़ी तैनात कर दी जाती है और वहां पर आईबी यानि इंटेलिजेंस ब्यूरो और देश की अन्य सुरक्षा एजेंसियां भी तैयार रहती हैं।

इसके लिए पहले से मीटिंग होती है और कई मामलों में तो प्रधानमंत्री के एक दौरे का इंतज़ाम महीनों पहले से होने लगता है। इसमें स्थानीय पुलिस और सुरक्षा अधिकारियों को भी जोड़ा जाता है। हर चीज़ के दो से तीन विकल्प रखे जाते हैं। यानी अगर पीएम के रुकने की जगह पर कोई सुरक्षा खामी देखी गई तो उसका विकल्प मौजूद होगा।

क्योंकि ये Z+ सुरक्षा के अंतरगत आता है तो उनकी सुरक्षा के लिए 55 जवान तैनात रहते हैं, जिसमें से 10 से ज्यादा कमांडो होते हैं और बाकी अन्य सुरक्षा एजेंसियों के जवान। ये सभी हर तरह की युद्ध कला में पारंगत रहते हैं और आने वाले किसी भी तरह के खतरे से लड़ने के लिए इन्हें ट्रेनिंग दी जाती है। आपको बता दें कि एसपीजी के ग्रुप के सदस्यों को छुट्टी नहीं दी जाती है और उनका इस्तीफा भी नहीं होता है।

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