केवडिया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कहा कि पिछले कुछ सालों के भीतर देश में डेढ़ हजार से अधिक पुराने और अप्रासंगिक कानूनों को समाप्त किया गया है। उन्होंने कहा कि आजादी के अमृतकाल में राज्यों को भी इस मुहिम को आगे बढ़ाते हुए गुलामी के समय से चले आ रहे तथा अप्रासंगिक हो चुके कानूनों को खत्म करना चाहिए। उन्होंने न्याय में देरी को देश की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक बताया।
विधि मंत्रियों और विधि सचिवों के अखिल भारतीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने राज्यों से अपील की कि वे अपने राज्यों में बनाए जाने वाले कानूनों की भाषा पर ध्यान केंद्रित करें ताकि गरीब से गरीब भी नए बनने वाले कानून को अच्छी तरह समझ पाएं।
उन्होंने कहा कि किसी भी नागरिक के लिए कानून की भाषा बाधा न बने, हर राज्य इसके लिए भी काम करे। युवाओं के लिए मातृभाषा में अकादमिक प्रणाली भी बनानी होगी, कानून से जुड़े पाठ्यक्रम मातृभाषा में हो, हमारे कानून सरल एवं सहज भाषा में लिखे जाएं, उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के महत्वपूर्ण मामलों की डिजिटल लाइब्रेरी स्थानीय भाषा में हो, इसके लिए हमें काम करना होगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि गुलामी के समय के कई पुराने कानून अभी भी राज्यों में चल रहे हैं और आजादी के अमृतकाल में गुलामी के समय से चले आ रहे इन कानूनों को समाप्त करके नए कानून आज की तारीख के हिसाब से बनाये जाना जरूरी है।
उन्होंने सम्मेलन में शामिल कानून मंत्रियों एवं सचिवों से कहा, 'मेरा आप सबसे आग्रह है कि सम्मेलन में इस तरह के कानूनों की समाप्ति का रास्ता बनाने पर विचार करना चाहिए। इसके अलावा राज्यों के जो मौजूदा कानून हैं, उसकी समीक्षा भी बहुत मददगार साबित होगी।'
उन्होंने कहा कि न्याय में देरी एक ऐसा विषय है जो नागरिकों की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है और देश की न्यायपालिका इस दिशा में गंभीरता से काम भी कर रही है। अब अमृतकाल में मिलकर हमें इस समस्या का समाधान करना है।
मोदी ने अदालतों में लंबित मामलों की संख्या पर भी चिंता जताई और कहा कि लोक अदालतों के माध्यम से देश में बीते वर्षों में लाखों मामलों को सुलझाया गया है। इनसे अदालतों का बोझ भी बहुत कम हुआ है, खासकर गांव में रहने वाले लोगों और गरीबों को न्याय मिलना भी आसान हुआ है।
पीएम ने कहा कि टेक्नोलॉजी किस तरह से आज न्याय व्यवस्था का भी अभिन्न अंग बन गई है, इसे हमने कोरोना काल में भी देखा है। आज देश में e-Courts mission तेजी से आगे बढ़ रहा है।
Edited by : Nrapendra Gupta (एजेंसियां)