नई दिल्ली। प्ले स्कूलों की मनमानी को लेकर आ रहीं शिकायतों के बाद राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने इनके नियमन के लिए एक विस्तृत दिशा-निर्देश तय किया ताकि इन निजी संस्थानों की मनमानियों पर अंकुश लगाया जा सके और 3 से 6 साल तक के बच्चों के बाल अधिकारों की पूरी सुरक्षा हो सके।
आयोग ने मंगलवार को संविधान और शिक्षा के अधिकार कानून-2009 की भावना के अनुरूप और शिशुओं की देखभाल और शिक्षा से संबंधित राष्ट्रीय नीति (एनसीसीई)-2013 के आधार पर दिशा-निर्देश अंतिम को रूप दिया और इसे आगे क्रियान्वयन के लिए सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को भेज दिया है।
आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो ने बुधवार को बताया कि प्ले स्कूलों की मनमानी को लेकर बहुत शिकायतें आ रही थीं। देश में इन प्ले स्कूलों को लेकर कोई दिशा-निर्देश नहीं हैं और ऐसे में इनकी जवाबदेही भी तय नहीं हो रही है। हमने ये दिशा-निर्देश तय किए ताकि इन प्ले स्कूलों की मनमानी पर अंकुश लग सके।
उन्होंने कहा कि हमने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों के पास ये दिशा-निर्देश भेज दिए हैं और उम्मीद करते हैं कि इनको जल्द से जल्द लागू किया जाएगा। शिक्षा काफी हद तक राज्य का मामला है इसलिए इसमें राज्य सरकारों को ही पहल करनी होगी। एनसीपीसीआर ने इन दिशा-निर्देशों में प्ले स्कूल की स्थापना से लेकर इनके संचालन तक, इससे जुड़े हर पहलू को लेकर कुछ शर्तें तय की गई हैं जिनका अनुपालन करके ही ये निजी संस्थान चल सकते हैं।
उसने इन प्ले स्कूलों के लिए कुछ बुनियादी शर्तें रखी हैं। मसलन, प्ले स्कूलों की स्थापना के लिए संबंधित प्राधिकार से अनुमति लेनी होगी, हर 20 बच्चों पर एक शिक्षक-शिक्षिका होंगे, हर 20 बच्चे पर देखभाल करने वाले एक सहायक-सहायिका होने चाहिए, इमारत में चहारदीवारी होनी चाहिए और इसमें वेंटिलेशन, बच्चों के लिए आराम कक्ष, दिव्यांग बच्चों के अनुकूल शौचालय, बच्चों के नहाने के लिए साबुन व तौलिया, साफ पानी, सीसीटीवी कैमरे, अग्निशमन की व्यवस्था और समय समय पर कीटनाशक का छिड़काव होना चाहिए।
आयोग ने यह भी कहा कि है कि एनसीसीई नीति 2013 के तहत हर प्ले स्कूल को 3 से 4 घंटे तक खुले रहना जरूरी है तथा बच्चे की सेहत का खयाल रखने के लिए सभी बुनियादी चिकित्सीय प्रबंध होना चाहिए। उसने प्ले स्कूलों में आवेदन, पंजीकरण, हाजिरी, शुल्क से संबंधित शर्तें भी तय की हैं।
एनसीपीसीआर ने कहा कि हर प्ले स्कूल को स्थापना के 6 महीने के भीतर इन दिशा-निर्देशों पर खरा उतरने का पूरा प्रबंध करना होगा। उसके मुताबिक प्ले स्कूल को यह हलफनामा देना होगा कि उससे जुड़ा कोई भी पदाधिकारी कभी पोस्को कानून, किशोर न्याय कानून और बाल श्रम विरोधी कानून के तहत दोषी नहीं ठहराया गया है।
आयोग ने कहा कि इन दिशा-निर्देशों के दायरे में आने वाले सभी सभी संस्थानों को अपने नाम में 'प्ले स्कूल' शब्द जोड़ना होगा। उसने कहा कि कोई भी प्ले स्कूल संबंधित प्रशासन की ओर से तय सीमा के भीतर ही फीस लेगा तथा फीस मासिक अथवा त्रैमासिक ही ली जाएगी।
इन दिशा-निर्देशों के मुताबिक बच्चों के प्रवेश के समय माता-पिता का किसी तरह का साक्षात्कार नहीं होगा। दाखिले के 1 महीने के भीतर पीटीएम का आयोजन करना होगा। बच्चों को किसी तरह का शारीरिक या मानसिक दंड देना अपराध माना जाएगा। (भाषा)