नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने उन याचिकाओं को खारिज कर दिया जिनमें टाइप-2 मधुमेह के उपचार में इस्तेमाल होने वाली फिक्स्ड डोज कॉम्बिनेशन (एफडीसी) ड्रग्स के निर्माण और बिक्री पर प्रतिबंध लगाने वाली केंद्र की अधिसूचना को चुनौती दी गई थी।
न्यायमूर्ति विभु बाखरू की पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार की सात सितंबर 2018 की अधिसूचना में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है और उन्होंने आठ फार्मा कंपनियों द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया। केंद्र ने अलग-अलग कंपोजिशन के मेटफॉर्मिन, पियोग्लिटाज़ोन और ग्लिम्पिराइड के निर्माण के एफडीसी पर प्रतिबंध लगा दिया था।
इन एफडीसी का इस्तेमाल टाइप-2 मधुमेह के उपचार और ग्लाइसीमिक कंट्रोल में सुधार में किया जाता है। फार्मा कंपनियों ने केंद्र की सात सितंबर 2018 की अधिसूचना को चुनौती दी थी। इसमें 328 एफडीसी दवाओं के निर्माण, बिक्री और वितरण पर प्रतिबंध लगाया गया था।