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भारतीय रेल की 58 इकाइयों में कागज का प्रयोग बंद

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सोमवार, 13 जनवरी 2020 (18:21 IST)
नई दिल्ली। भारतीय रेलवे की 58 इकाइयों में 5 हजार से ज्‍यादा लोगों ने कार्यालय के कामकाज के लिए काग़ज़ का प्रयोग बंद कर दिया है और 30 जून तक अन्य 39 हजार कर्मचारी ई-ऑफिस प्लेटफॉर्म से जुड़ जाएंगे। ई-ऑफिस न केवल कार्यालयों में कागज के बगैर काम करने की संस्‍कृति को बढ़ावा देगा, बल्कि परिचालन खर्चे भी घटाएगा और साथ ही कार्बन उत्‍सर्जन में भी कमी लाएगा।

रेल मंत्रालय की आधिकारिक जानकारी के अनुसार, रेलवे ने अपनी 58 यूनिटों में राष्‍ट्रीय सूचना केन्‍द्र (एनआईसी) के ई-ऑफिस का पहला चरण सफलतापूर्वक लागू करने के बाद दूसरे चरण के क्रियान्‍वयन के लिए भारतीय रेलटेल निगम के साथ एक सहमति पत्र पर हस्‍ताक्षर किए हैं। दूसरे चरण में 30 जून तक एनआईसी के ई-ऑफिस प्‍लेटफार्म पर 39000 से ज्‍यादा उपयोगकर्ताओं का पंजीकरण किया जाएगा।

एनआईसी के ई-ऑफिस का पहला चरण मार्च 2020 तक पूरा किए जाने के लक्ष्‍य के साथ शुरू किया गया था, लेकिन इसे समय से पहले द्रुतगति से पूरा करते हुए भारतीय रेल की 58 यूनिटों में 5 हजार से ज्‍यादा उपयोगकर्ताओं को सफलातपूर्वक पंजीकृत कर लिया गया। इस प्लेटफार्म को सही तरीके से संचालित करने के लिए अधिकारियों को प्रशिक्षण देने का काम भी महज 6 महीने में पूरा कर लिया गया।

सहमति पत्र पर रेलवे बोर्ड के कार्यकारी निदेशक उमेश कुमार बलोंडा और रेलटेल की आईटी विभाग की महाप्रबंधक हरितिमा जयपुरिया ने हस्‍ताक्षर किए। इस अवसर पर रेलवे बोर्ड के अध्‍यक्ष विनोद कुमार यादव, रेलवे बोर्ड के सिग्‍नल एंड टेलीकॉम के सदस्‍य प्रदीप कुमार और भारतीय रेलटेल निगम के अध्‍यक्ष सह प्रबंध निदेशक पुनीत चावला के अलावा रेलवे और रेलटेल के कई वरिष्‍ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

एनआईसी का ई-ऑफिस की ओर से विकसित किया गया क्‍लाउड आधारित सॉफ्टवेयर है जिसे रेलटेल के गुरुग्राम और सिकंदराबाद स्थित टीयर 3 अधिकृत केन्‍द्र की ओर से अपलोड किया गया है। यह केन्‍द्रीय सचिवालय की ई-ऑफिस प्रक्रिया नियमावली पर आधारित है।

मौजूदा समय ई-ऑफिस के जिन 4 मॉड्यूलों को लागू किया गया है, उनमें फाइल मैनेजमेंट सिस्‍टम (ई-फाइल) नॉलेज मैनेजमेंट सिस्‍टम (केएमएस) कोलैबोरेशन एंड मेसेजिंग सर्विस (सीएएमएस) और पर्सनल इनफॉर्मेशन मैनेजमेंट सिस्‍टम (पीआईएमएस) शामिल है।

ई-ऑफिस न केवल कार्यालयों में कागज के बगैर काम करने की संस्‍कृति को बढ़ावा देगा, बल्कि परिचालन खर्चे भी घटाएगा और साथ ही कार्बन उत्‍सर्जन में भी कमी लाएगा, जो आज के समय दुनिया की सबसे बड़ी जरूरतों में से एक है और सीधे तौर पर देश के प्रत्‍येक नागरिक को प्रभावित कर रही है।

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