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तवांग में चीनी झड़प पर चर्चा नहीं हुई तो विपक्ष ने किया राज्यसभा से वॉकआउट

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सोमवार, 19 दिसंबर 2022 (13:14 IST)
नई दिल्ली। तवांग में चीनी अतिक्रमण के मुद्दे पर कार्यस्थगन नोटिस खारिज किए जाने और चर्चा ना कराने का विरोध करते हुए कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों के सदस्यों ने सोमवार को शून्यकाल के दौरान राज्यसभा से बहिर्गमन किया। विपक्ष इस मुद्दे पर चर्चा कराने के लिए अड़ा हुआ है। 
 
कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भारत और चीनी सैनिकों के बीच झड़प का उल्लेख करते हुए कहा कि चीन हमारी जमीन पर कब्जा कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह बहुत महत्व का विषय है। 
 
...तो फिर किस मुद्दे पर चर्चा करेंगे : चीन अतिक्रमण कर रहा है। वहां पुल बना रहा है, घर बना रहा है, तोपखाने और कारखाने बना रहा है। इस पर चर्चा नहीं करेंगे तो फिर किस पर चर्चा करेंगे। उन्होंने आसन से आग्रह किया कि वह कार्यस्थगन कर चीनी अतिक्रमण के मुद्दे पर सदन में चर्चा कराएं।
 
खड़गे ने ब्रिटिश संसद का हवाला देते हुए कहा कि आसन के पास सारी शक्तियां हैं बस यह छोड़कर कि वह मर्द को औरत तथा औरत को मर्द बना सके। इस पर सत्ताधारी दल के सदस्यों ने कड़ा विरोध जताया।
 
सदन के नेता पीयूष गोयल ने कहा कि विपक्ष के नेता के पद की अपनी गरिमा होती है, लेकिन कोई स्वयं ही उसे गिराए तो क्या किया जा सकता है, लेकिन हम सदन की गरिमा ना गिराएं।
 
उन्होंने कहा कि कांग्रेस जब सत्ता में थी तब उनकी ही सरकार के एक मंत्री ने सदन में एक सवाल के जवाब में बताया था कि चीन ने कितनी जमीन पर अतिक्रमण किया है। उन्होंने विपक्षी सदस्यों पर ‘बेबुनियाद विषय’ उठाने का आरोप लगाया। धनखड़ ने कहा कि विपक्ष के नेता को अपने कार्यालय को और अधिक क्रियाशील बनाना चाहिए। इस पर खड़गे ने कड़ी आपत्ति जताई।
 
कुछ विपक्षी सदस्यों ने कहा कि आसन की यह टिप्पणी विपक्ष के नेता पर आक्षेप है। इसके बाद कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया। हंगामे के बीच ही सभापति ने शून्यकाल के तहत मुद्दे उठाने के लिए सदस्यों का नाम पुकारा। लेकिन कांग्रेस, वामंपथी दल, द्रविड़ मुनेत्र कषगम सहित अन्य विपक्षी दलों के सदस्य नारेबाजी करते हुए सदन से बहिर्गमन कर गए।
 
नोटिस में आवश्यक नियम का करें उल्लेख : सुबह उच्च सदन की कार्यवाही शुरू होने पर सभापति जगदीप धनखड़ ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए। उन्होंने कहा कि नौ सदस्यों ने विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए नियम 267 के तहत नोटिस दिए हैं। उन्होंने कहा कि इनमें से कोई भी नोटिस नियमों के अनुरूप नहीं है। धनखड़ ने कहा कि उन्होंने 8 दिसंबर को सदस्यों से कहा था कि कामकाज के निलंबन के लिए वह अपने नोटिस में आवश्यक नियम का उल्लेख करें, लेकिन किसी भी नोटिस में नियम का कोई उल्लेख नहीं है।
 
...तो नोटिस पर नहीं करेंगे विचार : उन्होंने कहा कि इसके बावजूद 13, 15 और 16 दिसंबर को इसी प्रकार के नोटिस के जरिए कार्यस्थगन के तहत चर्चा कराने की मांग को लेकर हंगामा किया गया जिससे करदाताओं के पैसे और सदन के कीमती समय की बर्बादी हुई। उन्होंने कहा कि बार-बार नियमों के बारे में बताने पर भी सदस्य अपने नोटिस में इसका उल्लेख नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोई भी नोटिस यदि नियमों के अनुकूल होगा, तभी वह विचार करेंगे।
 
10 प्रश्न हटाए गए : इस बीच, समाजवादी पार्टी के जावेद अली खान ने व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए कहा कि पिछले सत्र में उनके द्वारा पूछे गए 10 प्रश्न हटा दिए गए और इस बार भी बगैर किसी कारण के तीन प्रश्न हटाए गए हैं। उन्होंने सभापति से इस मामले में संरक्षण का अनुरोध किया। हालांकि सभापति ने कहा कि नियमों के तहत इसका भी प्रावधान है और वह संबंधित नियमों का सहारा ले सकते हैं।
 
सुरक्षा का मुद्दे सर्वोपरि : इसके बाद सभापति ने कांग्रेस के प्रमोद तिवारी का नाम पुकारा। तिवारी ने कहा कि वैसे तो शून्यकाल का उनका नोटिस सामूहिक आत्महत्या से संबद्ध है, लेकिन उनके लिए देश की सुरक्षा का मुद्दा सर्वोपरि है। उन्होंने चीनी अतिक्रमण के मुद्दे पर सदन में तत्काल चर्चा कराने की मांग की।
 
विपक्ष के नेता और कांग्रेस सदस्य मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि आसन की ओर से बार-बार कहा जा रहा है कि सदस्य गलत नोटिस दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि इससे यह संदेश जा रहा है कि सदस्य नियमों को समझे बिना ही नोटिस देते हैं। उन्होंने कहा कि नियम 266 के तहत सभापति के पास विशिष्ट अधिकार हैं और वे इनका उपयोग कर सदन मे चर्चा करा सकते हैं। (एजेंसी/वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala
 

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