एनटीए के महानिदेशक सुबोध सिंह शिक्षा मंत्रालय ने नीट परीक्षा विवाद पर कहा कि नीट-यूजी में कृपांक पाने वाले 1,500 से अधिक अभ्यर्थियों के परिणामों की पुन: जांच करने के लिए समिति गठित की। उन्होंने कहा कि नीट-यूजी में कृपांक के साथ क्षतिपूर्ति से अर्हता मानदंड प्रभावित नहीं हुआ है।
देश के 571 शहरों के 4,750 केंद्रों पर 5 मई को नीट-यूजी की परीक्षा का आयोजन किया गया था और चार जून को इसका परिणाम जारी किया गया था। इसके बाद अभ्यार्थियों ने परिणाम में धांधलेबाजी का आरोप लगाते हुए बताया कि 67 अभ्यर्थियों को शीर्ष रैंक के साथ 720/720 अंक मिले हैं।
इसके बाद महाराष्ट्र सरकार ने पिछले महीने हुई राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा-स्नातक (नीट-यूजी) को तत्काल रद्द करने की मांग करते हुए आरोप लगाया कि नतीजों में राज्य के छात्रों के साथ अन्याय हुआ है।
महाराष्ट्र के चिकित्सा शिक्षा मंत्री हसन मुश्रीफ ने कहा कि शायद नीट की परीक्षाएं पैसे लेकर आयोजित की गई थीं। इसके परिणाम ऐसे हैं कि महाराष्ट्र के किसी भी छात्र को राज्य के सरकारी या निजी कॉलेज में एमबीबीएस पाठ्यक्रम के लिए प्रवेश नहीं मिलेगा।
उन्होंने कहा कि इसमें महाराष्ट्र के छात्रों के साथ अन्याय हुआ है और इसे तुरंत रद्द किया जाना चाहिए। हम राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के समक्ष यह मुद्दा उठाएंगे। मुश्रीफ ने कहा कि सरकार इस मुद्दे पर अदालत का दरवाजा खटखटाने पर भी विचार कर रही है।
वहीं कांग्रेस ने भी इस मुद्दे पर सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने 'एक्स' पर पोस्ट किया, 'पहले नीट परीक्षा का पेपर लीक हुआ और अब छात्रों का आरोप है कि इसके परिणाम में भी भ्रष्टाचार हुआ है। एक ही परीक्षा केंद्र के छह छात्रों को 720 में से 720 अंक मिलने पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं और कई तरह की अनियमितताओं की बातें सामने आ रही हैं। दूसरी ओर, परिणाम आने के बाद देश भर में कई बच्चों के आत्महत्या करने की खबरें हैं। यह बहुत दुखद और झकझोरने वाला है।'
प्रियंका गांधी ने सवाल किया कि सरकार लाखों छात्रों की आवाज को अनसुना क्यों कर रही है? उन्होंने कहा कि छात्र-छात्राओं को नीट परीक्षा के परिणाम में धांधली से जुड़े वाजिब सवालों के जवाब चाहिए। क्या सरकार की जिम्मेदारी नहीं बनती कि वो जांच कराकर इन वाजिब शिकायतों का निस्तारण करे?