नई दिल्ली। नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने बुधवार को कहा कि मध्यम वर्ग अपने लिये बेहतर आयकर ढांचे का विकल्प चुनने को लेकर पूरी तरह सक्षम है। उन्होंने भरोसा जताया कि नई व्यवस्था से बचत की प्रवृत्ति कमजोर नहीं होगी।
बजट में व्यक्तिगत आयकर दाताओं को छूट और कटौती के साथ मौजूदा कर योजना में बने रहने या फिर नई सरलीकृल कर व्यवस्था का विकल्प दिया गया है। इस नई व्यवस्था में कर की दर कम है लेकिन इसमें कोई छूट या कटौती नहीं मिलेगी।
कुमार ने कहा कि यह बताता है कि मध्यम वर्ग खासकर करदाता अनुभवी हैं और उन्हें पता है कि उनके लिए क्या अच्छा है। आपने उनके पॉकेट में अतिरिक्त पैसा डाला है। अनिवार्य रूप से बचत के बजाए उन्हें निर्णय करने दीजिए कि वे कितना बचाना चाहते हैं....।
हालांकि, उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि कंपनी कर की तरह व्यक्तिगत कर में विकल्प के साथ दो व्यवस्था से चीजें और जटिल हुई हैं।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने कहा कि उन्हें स्थिति के अनुसार फैसला करने दीजिए। मेरा विचार है कि बचत की प्रवृत्ति में कमी नहीं आएगी। उन्होंने कहा कि एक अर्थशास्त्री के रूप में प्रक्रिया को सरल बनाए जाने से वह प्रोत्साहित हैं।
हालांकि, अर्थशास्त्री और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी (NIPFP) की प्रोफेसर इला पटनायक का मानना है कि आम तौर पर बचत को लेकर लोग दूरदर्शी नहीं होते और वृद्धावस्था के लिए पर्याप्त बचत नहीं कर पाते। इसीलिए सरकारों को लोगों को वृद्धावस्था और पेंशन के लिए बचत के लिए प्रेरित करना चाहिए। आयकर कानून की धारा 80 सी के तहत कर छूट के पीछे यही सोच है। नई प्रणाली इन प्रोत्साहनों को कम करती है।