नीट-यूजी परीक्षा से संबंधित याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है। याचिकाकर्ता की ओर से वकील नरेंद्र हुड्डा ने सुनवाई के दौरान कहा कि लीक कराना एक गिरोह का काम है, जो पहले भी ऐसे मामलों में काम कर चुका है। 4 मई को पहला बयान अनुराग यादव का दर्ज हुआ, उसके बाद नितेश कुमार का बयान दर्ज हुआ। दो और लोग अमित आनंद और सिकंदर प्रसाद ने बिहार पुलिस के सामने बयान दर्ज कराया है। इसके बाद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, "अमित आनंद मिडिलमैन है। वो 4 मई की रात को छात्रों को इकट्ठा कर रहा था।
नितेश कुमार मौके पर मौजूद था, जहां पेपर सुबह मिला और छात्रों को आंसर याद कराया गया। इस पर सीजेआई डी. वाई चंद्रचूड़ ने कहा, "बयानों के आधार पर ये लगता है कि पेपर 5 मई से पहले लीक हुआ था, क्योंकि छात्रो को पेपर रटाया जा रहा था। यह परीक्षा पांच मई को आयोजित की गई थी।
7 साल में एक भी पेपर लीक का सबूत नहीं : इधर संसद में नीट पेपर लीक के मुद्दे पर हंगामा जारी है। पेपर लीक के मुद्दे पर शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि पिछले 7 साल में एक भी पेपर लीक का सबूत नहीं हैं। हां कुछ जगहों पर गड़बड़ी हुई है। उन्होंने कहा कि सरकार इस मामले में कुछ नहीं छिपा रही।
क्या कहा राहुल गांधी ने : नीट पेपर लीक मामले पर राहुल गांधी ने लोकसभा में कहा कि पेपर लीक एक गंभीर मुद्दा है। परीक्षा व्यवस्था में बड़ी गड़बड़ी हुई है। शिक्षा मंत्री समस्या को नहीं समझ पा रहे हैं। पैसा हो तो आप कोई भी सीट ले सकते हैं।
पीएम मोदी ने बोला हमला : संसद सत्र से पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने मीडिया को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने विपक्ष पर जबरदस्त हमला बोला। पीएम मोदी ने कहा कि पिछले सत्र में लोकतंत्र का गला घोंटा गया। ढाई घंटे तक प्रधानमंत्री की आवाज दबाई गई। सदन देश के लिए है, दल के लिए नहीं। विपक्ष लगातार नकारात्मक राजनीति कर रहा है। कल हम जो बजट पेश करेंगे, वह अमृतकाल का महत्वपूर्ण बजट है। दरअसल, बजट से पहले आज संसद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आर्थिक सर्वेक्षण पेश करेंगी। कल आम बजट पेश किया जाएगा। सत्र के हंगामेदार रहने के आसार हैं। विपक्षी दल नीट पेपर लीक, कांवड़ यात्रा पर नेम प्लेट का मुद्दा उठा सकता है। संसद का मानसून सत्र 12 अगस्त तक चलेगा।
याचिकाकर्ताओं ने उठाया था हितों के टकराव का मुद्दा : 18 जुलाई को सुनवाई के दौरान दोबारा परीक्षा की मांग करने वाले याचिकाकर्ताओं ने हितों के टकराव का मुद्दा उठाया था और तर्क दिया था कि आईआईटी मद्रास के निदेशक को एनटीए गवर्निंग बॉडी में उनकी स्थिति के कारण रिपोर्ट तैयार नहीं करनी चाहिए थी। सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने इस तर्क का विरोध करते हुए कहा कि पदेन सदस्य के रूप में निदेशक की भूमिका पूरी तरह से जेईई एडवांस्ड परीक्षा आयोजित करने के उद्देश्य से थी। उन्होंने यह भी कहा कि निदेशक ने एनटीए बैठकों में भाग लेने के लिए एक अन्य प्रोफेसर को नियुक्त किया था। कोर्ट इसी मामले पर आज सुनवाई करेगा।
Edited By : Navin Rangiyal