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पोइचा के नीलकंठधाम से जानिए धार्मिक पर्यटन में क्यों नंबर 1 है गुजरात...

नृपेंद्र गुप्ता
सोमनाथ, द्वारका, डाकोरजी आदि विश्व प्रसिद्ध मंदिरों की भूमि गुजरात धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र में भी लोगों की पहली पसंद बना हुआ है। हम बात कर रहे हैं गुजरात के पोइचा में स्थित नीलकंठधाम की। 2013 में बना यह भव्य मंदिर अपनी अनुपम छटा और आधुनिकता के समावेश से हर वर्ग का दिल जीत लेता है।
 
स्टेच्यू ऑफ यूनिटी से मात्र 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित नीलकंठधाम में वह सब कुछ है जो हमें आकर्षित करता है। यहां आने वाले श्रद्धालु मंदिर, प्रदर्शनीस्थल के साथ ही नर्मदा नदी के दूसरे छोर पर स्थि‍त कुबेर मंदिर पर जाना भी नहीं भूलते।
 
मंदिर : 50 साल पहले शास्त्रीजी महाराज ने नर्मदा किनारे इस मंदिर के निर्माण का संकल्प लिया था। स्वामीनारायण गुरुकुल राजकोट द्वारा 2013 में 105 एकड़ जमीन पर इस भव्य मंदिर का निर्माण करवाया गया। मंदिर की वास्तुकला, बड़े-बड़े उद्यान, भव्य मूर्तियां बरबस ही सभी का मनमोह लेती है। अब तक 4 करोड़ से ज्यादा लोग इस नए धार्मिक स्थल पर आ चुके हैं।
 
मंदिर के चारों ओर 40 लाख लीटर पानी से बना नीलकंड सरोवर है। यहां स्वामीनारायण, घनश्यामजी, नीलकंठ वर्णीन्द्र भगवान, राधाकृष्ण देव, शिवलिंग, गणेशजी, हनुमानजी, 24 अवतार मंदिर समेत 32 छोटे-बड़े मंदिर है। मंदिर में नीचे की ओर 108 गौमुखी गंगा से बहती नर्मदा नदी के जल से स्नान करते श्रद्धालुओं का उत्साह देखने लायक होता है। दर्शन के अलावा यहां शाम 7 बजे से 10 बजे तक चलने वाला लाइट शो भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है।
 
नीलकंठधाम में 8 साल से रह रहे गोपाल भगत ने बताया कि भगवान की मूर्ति का अभिषेक रोज होता है। इसमें 108 लीटर गाय का दूध, औषधियों के 108 कलश, खेतों की माटी, प्रोटोना रस, अबीर, गुलाल से अभिषेक होता है। अभिषेक के 1 घंटे के बाद श्रृृंगार आरती होती है। 
 
सुबह से शाम तक 1 लाख तरह का भोग ठाकुरजी को चढ़ाया जाता है। उन्होंने कहा कि बहुत बढ़िया सेवा होती है, कावड़ से थाल आते हैं। हर रोज शाम साढ़े 5 बजे शोभायात्रा होती है। मंदिर प्रशासन के अनुसार, अभिषेक के बाद गाय का दूध बाद में प्रसाद के रूप में आदिवासी बच्चों में वितरित कर दिया जाता है।   
 
रथयात्रा : मंदिर परिसर में रोज शाम 5:30 बजे प्रारंभ होने वाली रथयात्रा से माहौल भक्तिमय हो जाता है। तोप, घोड़े, गाय, हाथी, डंका बजाते लोगों के साथ ही रथ खींचते महिला, पुरुषों को देख सभी भगवान स्वामीनारायण की भक्ति में डूब जाते हैं। रास्ते में जल, मोती, जरी का छिड़काव भी किया जाता है। रथयात्रा मंदिर के ठीक सामने खत्म होती है और फिर होती है भव्य आरती। इसी समय पूरे मंदिर की लाइड भी शुरू हो जाती है। लाइट की रोशनी में मंदिर की छटा और भी मनोरम हो जाती है। आरती के दौरान भगवान को प्रसन्न करने के लिए भक्तों द्वारा किए जाने वाले प्रयास सभी के मन में श्रद्धा जगा जाते हैं।
 
सहजानंद यूनीवर्स : नीलकंठधाम में सहजानंद यूनीवर्स भी लोगों के आकर्षण का बड़ा केंद्र है। प्राकृतिक वातावरण में बने इस केंद्र में बच्चों से लेकर बड़ों तक के मनोरंजन का भरपूर इंतजाम है। हरियाली के बीच भगवान की झांकियां सभी का मन मोह लेती है। लाइट एंड साउंड शो, मल्टीमीडिया व्यसन मुक्ति शो, टनल ऑफ यमपुरी, मिरर हाउस, थ्री डी फिल्म, नौका विहार, पक्षी घर और एन्जॉय पार्क आदि यहां पयर्टकों को अलग ही दुनिया में ले जाते हैं।

निलकंठधाम की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यहां फोटो और वीडियो लेने की कोई मनाही नहीं है। लोग मंदिर और प्रदर्शनीस्थल पर जमकर फोटोग्राफी करते हैं और यहां भी सुनहरी यादों को कैमरे में कैद कर अपने साथ ले जा सकते हैं।
 
कुबेर भंडारी मंदिर : स्वामी नारायण मंदिर से करनाली स्थित कुबेर भंडारी मंदिर तक की यात्रा आपके सफर में चार चांद लगा सकती है। इसके लिए आपको पहले नीचे नदी किनारे जाना होता है। वहां से जीप के माध्यम से तकरीबन आधा-पौन किलोमीटर चलने के बाद आप नदी के उस हिस्से में पहुंच जाते हैं जहां से नाव के माध्यम से आपको नदी पार कराई जाती है। फिर 400-500 सीढ़ियां चढ़कर आप प्राचीन कुबेर भंडारी मंदिर पहुंचते हैं।
 
कैसे जाएं नीलकंठधाम : अगर आप नीलकंठधाम जाना चाहते हैं तो आपको रेल, बस या विमान से पहले वडोदरा जाना होगा। यहां से नीलकंठधाम की दूरी मात्र 66 किलोमीटर है। यहां से आप प्राइवेट टैक्सी या फिर रिक्शा के इस्तेमाल से पोइचा धाम पहुंच सकते हैं। नीलकंठ धाम से मात्र 13 किमी की दूरी पर राजपिपला रेलवे स्टेशन है।
 
कैसा है खाने-पीने और ठहरने का इंतजाम : प्रसादम के नाम से यहां एक फूडकोर्ट भी बनाया गया है। यहां भी भोजन के साथ ही कढ़ी खिचड़ी, आइसक्रीम, पानीपुरी समेत कई अन्य व्यंजन भी उपलब्ध है। यहां ठहरने के लिए भी अच्छा इंतजाम है। हालांकि खाने और ठहरने के लिए आपको पैसे चुकाने होंगे।  

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