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रूस और यूक्रेन के बीच शांति की पहल करने को तैयार नरेन्द्र मोदी

रूस और यूक्रेन के बीच शांति की पहल करने को तैयार नरेन्द्र मोदी
, शुक्रवार, 1 अप्रैल 2022 (22:02 IST)
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ बैठक के दौरान यूक्रेन में जल्द से जल्द हिंसा खत्म करने का आह्वान किया और संघर्ष को सुलझाने के लिए शांति प्रयासों में योगदान देने के लिए भारत की रजामंदी व्यक्त की।

प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के एक बयान के अनुसार दौरे पर आए रूस के विदेश मंत्री ने मोदी को यूक्रेन की स्थिति समेत मॉस्को की कीव के साथ जारी शांति वार्ता के बारे में जानकारी दी।
 
विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ व्यापक बातचीत करने के बाद लावरोव ने प्रधानमंत्री से मुलाकात की। बयान में कहा गया है, कि विदेश मंत्री लावरोव ने प्रधानमंत्री को यूक्रेन की स्थिति समेत शांति वार्ता के बारे में जानकारी दी।
 
बयान में कहा गया कि प्रधानमंत्री ने हिंसा की शीघ्र समाप्ति के लिए अपने आह्वान को दोहराया और शांति प्रयासों में किसी भी तरह से योगदान करने के लिए भारत की रजामंदी से अवगत कराया।
 
बयान में कहा गया कि रूसी विदेश मंत्री ने पिछले साल दिसंबर में आयोजित भारत-रूस द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के दौरान लिए गए निर्णयों की प्रगति पर भी मोदी को जानकारी दी। लावरोव बृहस्पतिवार शाम चीन के दो दिवसीय दौरे के बाद नई दिल्ली पहुंचे।
 
भारत कूटनीति और बातचीत के जरिए यूक्रेन संकट के समाधान के लिए दबाव बनाता रहा है। मोदी ने 24 फरवरी, 2 मार्च और 7 मार्च को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ फोन पर बातचीत की। प्रधानमंत्री मोदी ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से भी दो बार बात की थी।
 
भारत बन सकता है रूस-यूक्रेन के बीच मध्यस्थ : इससे पहले भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर से मुलाकात के बाद लावरोव ने कहा कि रूस-यूक्रेन जंग खत्म करने में भारत मध्यस्थता कर सकता है। भारत एक महत्वपूर्ण और गंभीर देश है। यदि भारत समस्या को खत्म करने वाली भूमिका निभाता है तो हम इसका समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों ने अपनी जिम्मेदारी की अनदेखी की है। भारत की विदेश नीति की भी उन्होंने सराहना की। 
 
लावरोव ने कहा कि आपने इसे युद्ध कहा जो सही नहीं है। यह एक विशेष ऑपरेशन है, यूक्रेन के सैन्य बुनियादी ढांचे को निशाना बनाया जा रहा है। इसका उद्देश्य कीव शासन को कोई खतरा पैदा करना नहीं है।

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