मुंबई। रैमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित जाने माने पत्रकार पी. साईनाथ ने कहा कि भले ही वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज द्वारा 13 साल बाद भारत की रेटिंग में सुधार करने को लेकर देश में उत्साह का माहौल है लेकिन इसे पूरी तरह सत्य नहीं माना जाना चाहिए क्योंकि ऐसी रेटिंग को प्रभावित किया जा सकता है।
साईनाथ ने यहां नेशनल बैंकिंग कांक्लेव में अपने व्याख्यान में यह बात कही। उन्होंने कहा कि नोटबंदी का एक वर्ष पूरा होने से कुछ दिन पहले वे कर्नाटक के चित्रदुर्ग में थे। वहां के गांवों में नोटबंदी का असर अब भी नजर आ रहा है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी से किसी किस्म के कालेधन का खुलासा नहीं हुआ है।
डॉ. साईनाथ ने कहा कि नोटबंदी के कारण किसान और कृषि से जुड़े श्रमिक बेरोजगार और दिवालिया हो गए हैं। उन्होंने वस्तु एवं उत्पाद कर (जीएसटी) से काला धन बढने का आरोप लगाते हुए कहा कि सार्वजनिक धन के अन्य दुरुपयोग पर रोक लगाए बगैर बैंकों के पैसे का दुरुपयोग नहीं रोका जा सकता।
उन्होंने सरकार को बैंकों का कर्ज नहीं चुकाने वाले लोगों की सूची जारी करने के उच्चतम न्यायालय के आदेश पर कहा कि सार्वजनिक धन के उपयोग पर जनता की निगरानी रहनी चाहिए। डॉ. साईनाथ ने कहा कि निजी कंपनियों को दिए जाने वाले अनुबंधों और आंकड़े जारी करने वाले संस्थानों को नष्ट किए जाने के मामले में सूचना का अधिकार कानून लागू किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) और राष्ट्रीय पोषण निगरानी ब्यूरो को बंद किया जा रहा था। ऐसी ही वजहों से आत्महत्या करने वाले किसानों का भी सही आंकड़ा नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने कहा कि स्थिति इतनी खराब है कि बैंकों के आंकड़ों के साथ भी हेरा-फेरी की जा रही है। (वार्ता)