Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

मोदी का विजय रथ नहीं रोक सकी कांग्रेस

विभूति शर्मा
मंगलवार, 19 दिसंबर 2017 (16:59 IST)
कांग्रेस मुक्त भारत के लक्ष्य को लेकर निर्बाध गति से दौड़ रहे नरेंद्र मोदी व अमित शाह के विजय रथ को उनकी अयोध्या (गुजरात) में लव-कुश (राहुल-हार्दिक) ने रोकने की कोशिश जरूर की, लेकिन जीत का यज्ञ पूरा होने से नहीं रोक सके। इस बार गुजरात विधानसभा चुनाव राहुल गांधी के लिए नाक का बाल बन गया था तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए अस्मिता का सवाल।
 
राहुल देश की सबसे पुरानी पार्टी का मुखिया पद संभालने के बाद इस महत्वपूर्ण राज्य को जीतकर अपना परचम लहराना चाहते तो दूसरी ओर मोदी प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार अपने गृह राज्य का चुनाव भारी मतों से जीतने का दम भर रहे थे। ख्वाहिश दोनों की पूरी नहीं हुई, लेकिन सफलता के करीब दोनों पहुंचे।  राहुल ने भाजपा के मॉडल राज्य में कांग्रेस को सत्तारूढ़ दल के करीब पहुंचाने में सफलता हासिल की। मोदी जी ने भी लगातर छठी बार भाजपा को गुजरात की सत्ता दिला ही दी। 
 
समीकरण बदले : गुजरात चुनाव इस बार कई मायनों में महत्वपूर्ण माने जा सकते हैं। सबसे बड़ी बात तो यह है कि इस बार जातीय समीकरण पूरी तरह से उलट पुलट गए। जिन पटेलों, पाटीदारों के दम पर भाजपा बढ़त बनाए रखती थी वे कांग्रेस से गठजोड़ करते नजर आए। दूसरी ओर कांग्रेस का पुराना वोट बैंक आदिवासी और दलित भाजपा की ओर झुकता दिखाई दिया।
 
पाटीदारों के नेता के रूप में उभर रहे हार्दिक पटेल ने राहुल गांधी से हाथ मिलाकर कांग्रेस को काफी लाभ तो पहुंचाया लेकिन अपनी आरक्षण की लालसा को पूरा होते नहीं देख सके। उलट-पुलट का दूसरा नजारा राहुल गांधी ने मंदिर मंदिर घूमकर दिखाया। इसके लिए उन्हें अपने आपको हिन्दू साबित करने के लिए जनेऊ तक दिखाना पड़ा। अभी तक मंदिर और हिंदुत्व को भाजपा का मुद्दा ही माना जाता रहा है।
 
शिफ्ट हुए मुद्दों ने गणित पलटा : मुद्दों ने भी चुनाव के दौरान कई करवटें लीं। पिछले तीन सालों में भाजपा ने देश में जहां-जहां चुनाव जीते वहां-वहां गुजरात के विकास को मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया। स्वाभाविक तौर पर गुजरात में तो यही मुख्य मुद्दा बनना चाहिए था। बना भी, लेकिन राहुल गांधी की पाटीदारों के साथ बढ़ती नजदीकी और मंदिरों के भ्रमण से भाजपा को अपने मुद्दे खिसकने का अंदेशा हुआ। इसके साथ ही मुद्दा विकास से हटकर जातिवाद और हिंदुत्व पर शिफ्ट हो गया। यहीं से प्रचार में पारंपरिक घटिया राजनीति का प्रवेश हुआ।
 
कांग्रेस के खांटी नेता मणिशंकर अय्यर ने नरेंद्र मोदी को नीच कहकर आग में घी डाला और मोदी ने पिछले लोकसभा चुनाव की तरह इसे लपककर कांग्रेस के वंशवाद को ओरंगजेब की संतानों से जोड़ दिया। साथ ही मणिशंकर के यहां पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह की पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री के साथ हुई बैठक को राष्ट्रवाद के साथ जोड़कर दिखाया। इस सारे घटनाक्रम के बाद ही हाथ में आती दिख रही जीत फिसल गई। 
 
मैराथन शासन : इस सब के बावजूद भाजपा के लिए इस बार गुजरात की मैराथन विजय आसान नहीं मानी जा सकती। 1995 से गुजरात पर राज कर रही भाजपा को इस बार सबसे कम सीटें मिली हैं। 95 में 121 सीटें जीतने वाली पार्टी 2002 के दंगों के बाद 127 पर पहुंची, जो उसका सर्वोच्च आंकड़ा है। यह पहली बार है जब वह सौ से कम सीटें लेकर सरकार बना रही है।
 
सीटें भले घट गई हों, लेकिन भाजपा किसी राज्य में सबसे ज्यादा समय तक राज करने वाली पार्टियों में दूसरे नंबर पर पहुंच रही है। उससे आगे अब सिर्फ माकपा होगी जिसने पश्चिम बंगाल में करीब 34 साल शासन किया है। भाजपा अगर अगले पांच साल गुजरात में सत्ता में रही तो उसका शासन 27 साल का हो जाएगा। 
 
हिमाचल में झंडे गाड़े : हिमाचल प्रदेश ने पिछले 32 सालों से चले आ रहे अपने ट्रेंड को बरकरार रखा है।  अंतर बस इतना है कि मोदी करिश्मे के चलते इस बार भाजपा ने करीब दो तिहाई बहुमत हासिल करते हुए कांग्रेस को सत्ता से बेदखल किया है।
 
हिमाचल चुनाव की सबसे बड़ी घटना रही भाजपा के मुख्यमंत्री प्रत्याशी प्रेमकुमार धूमल और पार्टी अध्यक्ष सतपाल सत्ती की पराजय। अब पार्टी को नया मुख्यमंत्री चेहरा ढूंढने की कवायद करनी होगी। इसके लिए केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा का नाम सबसे ऊपर लिया जा रहा है। दूसरी ओर भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे कांग्रेस के मुख्यमंत्री वीरभद्रसिंह चुनाव जीतने में कामयाब रहे।
 

एग्जिट पोल में ही जीत गई थी भाजपा : गुजरात चुनाव में अंतिम चरण का मतदान समाप्त होने के साथ ही अलग अलग सर्वे एजेंसियों और न्यूज चैनलों ने मिलकर गुजरात और हिमाचल दोनों चुनावी राज्यों में सर्वे किया था।
 
हालांकि सभी न्यूज चैनलों और एजेंसियों के परिणामों में सीटों का थोड़ा बहुत अंतर दिखाया गया, लेकिन एक बात साफ थी कि गुजरात में एक बार फिर भाजपा सत्ता में लौटती दिख रही है। सबसे करीब रहा न्यूज चैनल इंडिया टुडे का एग्जिट पोल, इसमें गुजरात में भाजपा को 99-113 सीटों के साथ स्पष्ट बहुमत मिलता बताया गया, जबकि कांग्रेस को 68-82 सीटें मिलने की उम्‍मीद जताई गई। हिमाचल विधानसभा चुनाव 2017 के एग्जिट और ओपिनियन पोल में भाजपा को 47-55 सीटें, कांग्रेस को 13-20 और अन्य को 2 सीटें मिल रही थीं।

सम्बंधित जानकारी

जरूर पढ़ें

Bomb threat : 50 उड़ानों में बम की धमकी मिली, 9 दिन में कंपनियों को 600 करोड़ का नुकसान

महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी के बीच सीटों का फॉर्मूला तय

गुरमीत राम रहीम पर चलेगा मुकदमा, सीएम मान ने दी अभियोजन को मंजूरी

Gold Silver Price Today : चांदी 1 लाख रुपए के पार, सोना 81000 के नए रिकॉर्ड स्तर पर

दो स्‍टेट और 2 मुख्‍यमंत्री, क्‍यों कह रहे हैं बच्‍चे पैदा करो, क्‍या ये सामाजिक मुद्दा है या कोई पॉलिटिकल गेम?

सभी देखें

नवीनतम

Pakistan : त्यौहारों से पहले हिंदू और सिख परिवारों को मिलेगी नकद राशि, पंजाब प्रांत की सरकार ने किया ऐलान

जज साहब! पत्नी अश्लील वीडियो देखती है, मुझे हिजड़ा कहती है, फिर क्या आया कोर्ट का फैसला

कैसे देशभर में जान का दुश्मन बना Air Pollution का जहर, भारत में हर साल होती हैं इतनी मौतें!

उत्तराखंड में केदारनाथ उपचुनाव की अधिसूचना जारी

Canada : ओवन के अंदर मृत मिली महिला, स्‍टोर में करती थी काम, जांच में जुटी पुलिस

આગળનો લેખ
Show comments