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मोदी सरकार का बड़ा बदलाव, बिना UPSC परीक्षा के बन सकते हैं IAS

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सोमवार, 11 जून 2018 (16:30 IST)
नई दिल्ली। मोदी सरकार ने प्रशासनिक व्यवस्था में प्रवेश को लेकर अब तक का सबसे बड़ा बदलाव करने जा रही है। मोदी सरकार के इस बदलाव से अब नौकरशाही में प्रवेश के लिए संघ लोक सेवा आयोग यानी UPSC परीक्षा पास करना जरूरी नहीं होगा। केंद्र सरकार ने लैटरल एंट्री के जरिए इस योजना को नया रूप दिया है। इसके तहत अब प्राइवेट कंपनियों में काम करने वाले सीनियर अधिकारी भी नौकरशाही में शामिल हो सकते हैं। 
 
मोदी सरकार ने एक नई नीति के तहत अपनी सरकार में 10 अलग-अलग विभागों में संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारियों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला है। इन पदों पर आमतौर पर उन्हीं की नियुक्ति होती थी, जिन्होंने यूपीएससी परीक्षा पास की हो, लेकिन सरकार ने इन पदों के लिए लैटरल वेकेंसी निकाली है।
 
 
यह होनी चाहिए शैक्षणिक योग्यता
विशेषज्ञता के अलावा इन पदों पर आवेदन के लिए न्यूनतम उम्र कम से कम 40 साल होनी चाहिए, जबकि अधिकतम उम्र की कोई सीमा नहीं है। उम्र का निर्धारण 1 जुलाई 2018 के आधार पर किया जाएगा। आवेदक का किसी प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी या इंस्टीट्यूशन से ग्रेजुएट होना भी जरूरी है। सामान्य ग्रेजुएट और किसी सरकारी या पब्लिक सेक्टर यूनिट या यूनिवर्सिटी के अलावा किसी प्राइवेट कंपनी में 15 साल काम का अनुभव रखने वाला भी इन पदों के लिए आवेदन कर सकता है।
 
इन विभागों में होंगी नियुक्तियां
ये सभी नियुक्तियां अनुबंध के आधार पर होंगी और 3 से पांच वर्षों के लिए होंगी। जिन विभागों में नियुक्तियां होंगी उनमें राजस्व, वित्तीय सेवाएं, आर्थिक कार्यों, नागर विमानन और वाणिज्य प्रमुख हैं। 
 
 
नहीं होगी लिखित परीक्षाज्वॉइंट सेक्रेटरी के पदों के लिए नियुक्ति प्रक्रिया में कोई लिखित परीक्षा नहीं है। शॉर्टलिस्टेड कैंडिडेट्स का बस इंटरव्यू होगा। कैबिनेट सेक्रटरी के नेतृत्व में बनने वाली कमेटी सभी आवेदक का इंटरव्यू लेगी।
 
इस तारीख तक कर सकते हैं आवेदन
ज्वॉइंट सेक्रेटरी के पदों के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि 30 जुलाई शाम 5 बजे तक है।

 
तीन साल का होगा कार्यकाल
अधिसूचना के मुताबिक, सभी ज्वॉइंट सेक्रेटरी का कार्यकाल 3 साल का होगा. अगर अच्छा प्रदर्शन हुआ, तो 5 साल तक के लिए इनकी नियुक्ति की जा सकती है.
 
इतना मिलेगा वेतन
इनकी वेतन केंद्र सरकार के अंतर्गत ज्वॉइंट सेक्रेटरी लेवल की होगी। इन्हें 1 लाख 44 हजार 200 से लेकर 2 लाख 18 हजार 200 रुपए के रेंज तक का वेतन मिल सकता है। इसके साथ ही इन्हें सर्विस रूल की तरह काम करना होगा और दूसरी सुविधाएं भी उसी तरह मिलेंगी।

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सरकार ने दी यह सफाई
विपक्ष सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहा है। विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार इस फैसले से अपने लोगों को नौकरशाही में प्रवेश देना चाहती है। विपक्ष के इस आरोप पर राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि इससे उपलब्ध स्रोतों में से सर्वश्रेष्ठ को चुनने का मौका मिलेगा। इस बदलाव के पीछे सरकार का मकसद है कि हर भारतीय नागरिक को अपनी प्रतिभा और क्षमता के हिसाब से विकास सुनिश्चित करने के लिए मौका मिले।

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