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आखिर क्यों तिलमिलाए नरेन्द्र मोदी...

वृजेन्द्रसिंह झाला
बुधवार, 7 फ़रवरी 2018 (15:09 IST)
प्रधानंमत्री नरेन्द्र मोदी बुधवार को संसद में कांग्रेस पर खूब बरसे। विपक्ष खासकर कांग्रेस के शोरशराबे के बीच जिस तैश में मोदी बोल रहे थे, उससे तो ऐसा लग रहा था कि वे लंबे समय से हो रहे हमलों से काफी आहत थे। उन्होंने करीब डेढ़ घंटे के भाषण में पूर्ववर्ती यूपीए सरकार से लेकर कांग्रेस के 'पुरखों' तक के पाप गिनाने में कोई कोताही नहीं बरती।
 
उन्होंने यह भी बताया कि किस तरह कांग्रेस के बोए जहर से देश को नुकसान उठाना पड़ा। मणिशंकर अय्यर के औरंगजेब वाले प्रसंग को फिर याद करके उन्होंने बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव नहीं ताजपोशी होती है। उनके कहने का तात्पर्य यही था कि कांग्रेस में तो लोकतंत्र नाम की चीज ही नहीं है। 
 
क्या मोदी की तिलमिलाहट और तैश के पीछे सिर्फ कांग्रेस है या फिर कोई और वजह है? दरअसल, हकीकत थोड़ी अलग है। अब मोदी को भी लगने लगा है कि लोगों का उनके प्रति मोह भंग हो रहा है। अब लोग उन्हें उतने ध्यान से सुनते भी नहीं हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण राजस्थान में हाल ही में हुए उपचुनाव के परिणाम हैं, जहां केन्द्र और राज्य में सत्ता होने के बावजूद लोगों ने भाजपा को पूरी तरह नकार दिया। 
 
यह सिर्फ अजमेर, अलवर लोकसभा सीट और मांडल की विधानसभा सीट की ही बात नहीं है, बल्कि 2018 के अंत में होने वाले राजस्थान विधानसभा चुनाव और आगामी आम चुनाव के लिए भी राज्य के लोगों का मोदी और भाजपा के लिए संकेत है। मोदी इस संकेत को समझ भी रहे हैं कि आने वाला समय अनुकूल नहीं है। क्योंकि सहयोगी शिवसेना ने तो अलग होने का ऐलान कर ही दिया है, टीडीपी के साथ भी संबंधों में खटास बढ़ती जा रही है। 
 
बजट में भी जिस तरह से मध्यम वर्ग की उपेक्षा की गई, उसकी नाराजगी की बात भी मोदी तक पहुंच गई है। दरअसल, बजट में मध्यम वर्ग के लिए न तो आयकर स्लैब में कोई बदलाव किया गया न ही कर में कोई राहत दी गई। उलटा सेस ही 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 4 फीसदी कर दिया गया। म्यूचुअल फंड पर भी 10 फीसदी टैक्स थोपकर इस वर्ग को और नाराज ही किया गया। 
 
जबकि, हकीकत में यही वर्ग भाजपा का सबसे बड़ा 'वोट बैंक' है। क्योंकि जिन गांव, गरीब और किसानों की बात बजट में की गई है, उनका एक बहुत बड़ा वर्ग तो जाति के आधार पर ही वोट करता है। ऐसे में मध्यम वर्ग की नाराजी आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव में भाजपा को भारी पड़ सकती है। लोगों में गुस्सा इसलिए भी है कि विपक्ष में रहते हुए वित्तमंत्री अरुण जेटली 5 लाख तक की आय को टैक्स फ्री करने की बात करते थे। 
 
मोदी ने हालांकि अपने भाषण में यह कहकर इस वर्ग को समझाने की कोशिश भी की है कि मध्यम वर्ग के लिए सरकार ने 12000 करोड़ का फायदा दिया है। स्टेंडर्ड डिडक्शन भी 40 हजार कर दिया गया है, लेकिन सेस और म्युचुअल फंड पर वे चुप्पी साथ गए। मोदी की बात इस वर्ग के गले इसलिए भी नहीं उतरेगी क्योंकि यह वर्ग समझता है कि हकीकत क्या है। इसमें कोई संदेह नहीं कि मोदी इस आसन्न खतरे को भांप तो रहे हैं, लेकिन यह तो वक्त ही बताएगा कि वे इसका कुछ इलाज कर भी पाते हैं या नहीं।  

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