Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

मोहन भागवत ने किया 1051 ग्रंथों का लोकार्पण, बोले- विश्व के कल्याण के लिए बना है भारत

Webdunia
रविवार, 16 अप्रैल 2023 (00:21 IST)
अहमदाबाद। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार को कहा कि भारत दुनिया के कल्याण के लिए बना है और देश को अपनी ताकत और प्रतिष्ठा में वृद्धि के बीच अपने ज्ञान को एक कर्तव्य के तौर पर साझा करना चाहिए।

यहां गुजरात विश्वविद्यालय में एक सभा को संबोधित करते हुए, भागवत ने भारतीयों से कहा कि वे देश की प्राचीन ज्ञान व्यवस्था के प्रति अपने संदेह और अविश्वास दूर करें और इसके बजाय यह पता लगाने के लिए शोध करें कि क्या प्रासंगिक है और इसे सभी के साथ साझा करें।

भागवत ने अहमदाबाद स्थित और आरएसएस से जुड़े विचार मंच पुनरुत्थन विद्यापीठ द्वारा तैयार प्राचीन भारतीय ज्ञान व्यवस्था और संबंधित विषयों के 1051 संस्करणों के विमोचन के बाद कहा, हमारा राष्ट्र हमारे पूर्वजों की तपस्या से बना था, जो दुनिया का कल्याण चाहते थे। इसलिए (ज्ञान साझा करना) हमारा कर्तव्य है।

भले ही भारत की ताकत और प्रतिष्ठा विश्व स्तर पर बढ़ रही है, लेकिन हमारे लिए यह आवश्यक है कि हम अपनी ज्ञान व्यवस्था के साथ-साथ दुनिया में मौजूद लोगों की समीक्षा करें ताकि ज्ञान के नए स्तर खोजें और इसे दुनिया को पेश करें।

भागवत ने कहा कि भारतीयों को पहले स्वयं ज्ञान प्राप्त करना चाहिए और उसके बाद इसे दुनिया के साथ साझा करने के लिए काम करना चाहिए क्योंकि बहुत से लोग संदिग्ध हैं और इस ज्ञान के बारे में अविश्वास रखते हैं। आरएसएस के सरसंघचालक ने दावा किया कि वास्तविक ज्ञान रखने वाले लोग हैं लेकिन उनके बारे में हमारा अविश्वास है क्योंकि हमारे मस्तिष्क को इस तरह का आकार दिया गया है।

भारतीयों को शोध के बाद इसे साझा करने का आह्वान करते हुए, भागवत ने कहा, हमें पहले यह देखना चाहिए कि अतीत में क्या मौजूद था, इसे फिर से सीखना चाहिए और देश, समय और स्थिति के लिए प्रासंगिक भारतीय ज्ञान परंपरा के आधार पर दुनिया के समक्ष ज्ञान का एक समग्र रूप प्रस्तुत करना चाहिए।

उन्होंने कहा, हर किसी को ज्ञान का अधिकार है। मनुष्य ज्ञान के लिए पैदा हुआ है। ज्ञान के लिए कड़ी मेहनत करें और ज्ञान प्राप्त करें, जो आपको मुक्त करेगा। आयुर्वेद और योग जैसी प्राचीन भारतीय प्रणालियों को दुनिया द्वारा स्वीकृति की सराहना करते हुए भागवत ने कहा कि कुछ लोगों ने उनके कुछ पहलुओं को पेटेंट कराने की कोशिश की थी।

उन्होंने कहा, हालांकि हम ऐसा (पेटेंट) कभी नहीं करेंगे। ज्ञान सभी के लिए है। यह उन सभी के लिए है जो कड़ी मेहनत करते हैं। यह जन्म, जाति, राष्ट्र, भाषा और क्षेत्र से सीमित नहीं है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के बाद दुनिया चीजों को देखने का एक नया तरीका चाहती है और इस तरह की पेशकश करना भारत का उद्देश्य होना चाहिए।

भागवत ने कहा कि विज्ञान और ज्ञान के बीच अंतर दृष्टि से जुड़ा है और नई शिक्षा नीति (एनईपी) को दृष्टि परिवर्तन के लिए तैयार किया गया है। उन्होंने कहा, विज्ञान हमें विनाश के करीब ला सकता है लेकिन यह विज्ञान की गलती नहीं है बल्कि हमारी प्रवृत्ति है। आरएसएस प्रमुख ने कहा कि सच्चा ज्ञान अंदर से आता है जहां हमारा झुकाव निहित है।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)

सम्बंधित जानकारी

जरूर पढ़ें

Russia Ukraine War भयानक स्थिति में, ICBM से मचेगी तबाही, पुतिन के दांव से पस्त जेलेंस्की

IAS Saumya Jha कौन हैं, जिन्होंने बताई नरेश मीणा 'थप्पड़कांड' की हकीकत, टीना टाबी से क्यों हो रही है तुलना

जानिए 52 करोड़ में क्यों बिका दीवार पर डक्ट-टेप से चिपका केला, यह है वजह

C वोटर के एग्जिट पोल में महाराष्ट्र में किसने मारी बाजी, क्या फिर महायुति की सरकार

Russia-Ukraine war : ICBM हमले पर चुप रहो, प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रही रूसी प्रवक्ता को आया पुतिन का फोन

सभी देखें

नवीनतम

LIVE: अडाणी मामले पर अमेरिका का पहला बयान, आरोपों का भारत अमेरिकी रिश्ते पर असर नहीं

Weather Update : मौसम ने बदला रंग, कई राज्‍यों में ठंड ने दी दस्‍तक, प्रदूषण की चपेट में दिल्‍ली

मणिपुर पर नड्डा का खरगे को जवाब, कांग्रेस के आरोप झूठे और राजनीति से प्रेरित

सहारनपुर में शताब्दी एक्सप्रेस पर पथराव, टूटा C2 कोच का कांच

गडकरी बोले, 2029 तक बिहार में नेशनल हाईवे का नेटवर्क अमेरिका के बराबर

આગળનો લેખ
Show comments