नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आज एक अजीबोगरीब बयान दिया। केंद्रीय मंत्री ने आर्थिक मंदी को फिल्मों की कमाई से जोड़ दिया है।
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि 2 अक्टूबर को 3 फिल्में रिलीज हुईं और तीनों फिल्मों ने 120 करोड़ रुपए की कमाई की, तो फिर देश में मंदी कहां है। केंद्रीय मंत्री भाजपा के चुनाव प्रचार के लिए मुंबई पहुंचे थे।
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि चूंकि वे अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में इंफॉर्मेशन ब्रॉडकास्टिंग मिनिस्टर थे इसलिए उन्हें फिल्मों से लगाव है।
मुंबई में रविशंकर ने कहा कि देश में मोबाइल, मेट्रो और सड़कें बन रही हैं, जिससे लोगों को रोजगार मिल रहा है। उन्होंने कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था का आधारभूत ढांचा मजबूत है और महंगाई दर नियंत्रण में है। उन्होंने यह भी दावा किया कि एफडीआई सबसे ऊंचे स्तर पर है।
रविशंकर प्रसाद ने बेरोजगारी पर एनएसएसओ (NSSO) की उस रिपोर्ट को भी खारिज किया जिसमें कहा गया है कि बेरोजगारी की दर 45 सालों में सर्वाधिक है।
एनएसएसओ की रिपोर्ट पर प्रसाद ने कहा कि मैं आपको 10 मापदंड बता सकता हूं, जहां अर्थव्यस्था अच्छा प्रदर्शन कर रही है लेकिन एनएसएसओ की रिपोर्ट में इनमें से किसी को नहीं दिखाया गया है। इसलिए मैं इस रिपोर्ट को गलत कहता हूं।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रबंध निदेशक क्रिस्टलिना जिर्जीवा ने हाल में कहा कि दुनिया की 90 प्रतिशत अर्थव्यवस्था सुस्ती के दौर से गुजर रही है। भारत और ब्राजील जैसे देशों पर इसका असर साफ नजर आ रहा है।
जिर्जीवा के बयान के बारे में पूछे जाने पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत को लेकर मुद्राकोष का अनुमान अभी अधूरा है। यह नहीं भूलना चाहिए कि जब मनमोहन सिंह सत्ता में थे तो भारत 11वें पायदान पर था; आज हम पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यस्था हैं। हमने फ्रांस को भी पछाड़ दिया है।
प्रसाद ने अर्थव्यवस्था में गिरावट की धारणा को दूर करने का प्रयास करते हुए कहा कि इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण, सूचना एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र, मुद्रा लोन और वाणिज्यिक सेवा क्षेत्र बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। हमने कभी नहीं कहा था कि हम सबको सरकारी नौकरी देंगे। उन्होंने कहा कि कुछ लोग सरकार के खिलाफ मोर्चा बनाकर बेरोजगारी के मुद्दे पर लोगों को गुमराह करने का काम कर रहे हैं।
प्रसाद की अर्थव्यवस्था के लेकर टिप्पणियां ऐसे समय आई हैं जब विश्व प्रतिस्पर्धा सूचकांक रिपोर्ट में भारत का स्थान 10 पायदान नीचे आ गया। दूसरी तरफ औद्योगिक सूचकांक अगस्त माह में 1.1 प्रतिशत नीचे आ गया जो कि पिछले सात साल के दौरान सबसे कमजोर प्रदर्शन रहा है।
प्रतिस्पर्धा सूचकांक के बारे में वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि आप नवोन्मेष, स्टार्टअप और बाजार आकार मापदंडों को देखिए, हम सबमें सुधार ला रहे हैं। यह सच है कि कुछ अन्य मापदंडों में हम नीचे आए हैं।