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मनीष सिसोदिया बोले- राज्यपाल का पद लोकतंत्र पर बोझ, इसे खत्म करना चाहिए...

Manish Sisodia

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

नई दिल्ली , गुरुवार, 15 अगस्त 2024 (00:27 IST)
Manish Sisodia's statement regarding the post of Governor : दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बुधवार को कहा कि राज्यपाल का पद समाप्त कर दिया जाना चाहिए क्योंकि यह संस्था लोकतंत्र पर बोझ बन गई है और इसकी भूमिका केवल गैर-राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) दलों की सरकारों के कामकाज में बाधा डालना रह गई है।
 
आबकारी नीति मामले में जमानत मिलने के बाद शुक्रवार को तिहाड़ जेल से बाहर आए सिसोदिया ने कहा कि उपराज्यपाल और निर्वाचित सरकार के बीच टकराव के कारण दिल्ली में नौकरशाह परेशान हैं। उन्होंने कहा कि इससे वह दुखी हैं। उन्होंने अफसोस जताया कि विभिन्न स्तरों पर शासन में विभाजन के कारण सार्वजनिक सेवाएं और कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं तथा लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
 
उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार के बीच टकराव : दिल्ली में उपराज्यपाल कार्यालय और आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के बीच शासन संबंधी कई मुद्दों पर मतभेद रहे हैं। ‘आप’ के वरिष्ठ नेता ने कहा, लोकतंत्र की हत्या के कारण उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार के बीच टकराव है। केंद्र सरकार ने चुनी हुई सरकार के अधिकार छीन लिए हैं। जब लोकतंत्र की हत्या होती है तो सभी पक्ष प्रभावित होते हैं। यहां तक ​​कि सरकार के अधिकारी भी त्रस्त हैं और मुझे उनके लिए दुख है।
सिसोदिया ने दावा किया कि नौकरशाह लोगों के कल्याण के लिए काम करने से डरते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि उन्हें ऊपरी स्तर से कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने याद दिलाया कि उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ ने फैसला दिया था कि निर्वाचित सरकार के पास निर्णय लेने का अधिकार है, लेकिन केंद्र इसके लिए तैयार नहीं है। उन्होंने कहा, वे निर्वाचित सरकार के अधिकारों को छीनने के लिए संसद के माध्यम से कानून लेकर आए। इसे मैं लोकतंत्र की हत्या कहता हूं।
 
हमें राज्यपाल की क्या आवश्यकता है : पिछले साल फरवरी में गिरफ्तारी के बाद दिल्ली के उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने वाले सिसोदिया ने कहा कि राज्यपाल का पद समाप्त कर दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, इस पद को समाप्त कर देना चाहिए। हमें राज्यपाल की क्या आवश्यकता है। निर्वाचित सरकार को शपथ दिलाने के लिए? यह काम अन्य संस्थाएं भी कर सकती हैं। सरकारों को गिराने के अलावा उनका क्या काम है? इसके अलावा वे क्या कर रहे हैं?
 
सिसोदिया ने कहा, राज्यपाल एक संस्था के रूप में इस देश में बोझ बन गए हैं। वे निर्वाचित सरकार के कामकाज में बाधा डालने के अलावा कुछ नहीं कर रहे हैं। उम्मीद है कि इस समस्या का समाधान निकलेगा। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा न केवल दिल्ली में है, बल्कि पश्चिम बंगाल, केरल जैसे अन्य राज्यों में भी समस्याएं पैदा कर रहा है।
 
यह प्रवृत्ति तानाशाही को बढ़ावा दे रही : उन्होंने कहा, यह प्रवृत्ति पूरे देश में चल रही है और तानाशाही को बढ़ावा दे रही है। तानाशाही के कारण दिल्ली और अन्य राज्यों में भी नुकसान हो रहा है। सिसोदिया ने आरोप लगाया, राज्यपालों की नियुक्ति केवल निर्वाचित सरकार के कामकाज में बाधा डालने की उनकी क्षमताओं के आधार पर की जा रही है।
दिल्ली सरकार और ‘आप’ शासित दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को मानसून के इस मौसम में जलभराव के कारण हुई मौतों के बाद आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। पिछले महीने ओल्ड राजेंद्र नगर में एक कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भरने से सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे तीन अभ्यर्थियों की मौत हो गई थी।
 
यह शासन की विफलता है : उन्होंने कहा, मुझे बहुत दुख हुआ कि कैसे किसी के बच्चे की जान इस तरह चली गई। उन्होंने स्वीकार किया कि यह शासन की विफलता है। उन्होंने कहा, मैं यह नहीं कह सकता कि यह हमारी जिम्मेदारी नहीं है। यह सरकार की जिम्मेदारी है। शासन कई स्तरों पर बंटा हुआ है- एमसीडी है, दिल्ली सरकार है और फिर उपराज्यपाल हैं।
सिसोदिया ने कहा, अधिकारियों की नियुक्ति उपराज्यपाल करते हैं, लेकिन काम कराने के लिए मंत्री को उनसे अनुरोध करना पड़ता है। इस स्थिति के कारण कहीं न कहीं लोग परेशान हैं। आप लोकतंत्र को जितना कमजोर करेंगे, काम उतना ही धीमा होता जाएगा। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour

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