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महाराष्ट्र की लोनार झील में पानी लाल होने से दहशत में लोग, रहस्य का पता लगाने में जुटे वैज्ञानिक

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गुरुवार, 11 जून 2020 (17:14 IST)
कोरोना काल में दुनिया में पिछले कुछ दिनों से कई अजीब घटनाएं सामने आ रही हैं। ऐसी ही एक घटना सामने आई है महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में। जिले में स्थित लोनार झील का पानी लाल रंग का नजर आने लगा है। इससे लोग दहशत में आ गए हैं। इस घटना को लेकर सोशल मीडिया पर तरह-तरह के बातें कही जा रही है।

पानी की रंगत बदलने से स्थानीय लोगों के साथ-साथ प्रकृतिविद और वैज्ञानिक भी हैरान हैं। वैज्ञानिक भी इस रहस्य का कारण जानने में जुट गए हैं। यह झील रहस्यमयी मानी जाती हैं। इस झील के बारे में वैज्ञानिकों का कहना है कि यह उल्कापिंड के गिरने से निर्मित हुई है।

7 किलोमीटर के व्‍यास में फैली यह झील आकार में गोल है। इसकी गहराई करीब 150 मीटर बताई जाती है। बताया जाता है कि इस झील के रहस्यों को जानने के लिए दुनियाभर की एजेंसियां काम कर रही हैं। स्थानीय लोगों ने मीडिया को बताया कि पिछले 2-3 दिनों से पानी का रंग बदल गया है।

कोरोना काल में इस झील में पानी का रंग बदलने से लोग भी डरे हुए हैं। झील के पानी के रंग यह बदलाव पहली बार देखा गया है। स्थानीय प्रशासन ने भी इसका कारण जानने के लिए अपने स्तर पर कार्रवाई शुरू कर दी है। इसके पानी के नमूने लेकर जांच की जा रही है।

मीडिया में आई खबरों के अनुसार कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि 'झील में हैलोबैक्टीरिया और ड्यूनोनिला सलीना नाम के फंगस के चलते ही झील का पानी लाल हुआ है। कुछ दिन पहले आए निसर्ग तूफान के कारण जोरदार बारिश के कारण हैलोबैक्टीरिया और ड्यूनोनिला सलीना कवक झील की तलहट में बैठ गए। इससे इसका पानी लाल नजर आने लगा। हालांकि वे इसे पक्का कारण नहीं मानते हैं।

लोनार झील संरक्षण एवं विकास समिति के सदस्य गजानन खराट ने पीटीआई को बताया कि यह झील अधिसूचित राष्ट्रीय भौगोलिक धरोहर स्मारक है। इसका पानी खारा है और इसका पीएच स्तर 10.5 है। उन्होंने कहा कि जलाशय में शैवाल है। पानी के रंग बदलने की वजह लवणता और शैवाल हो सकते हैं।

खराट ने बताया कि पानी की सतह से एक मीटर नीचे ऑक्सीजन नहीं है। ईरान की एक झील का पानी भी लवणता के कारण लाल रंग का हो गया था। उन्होंने बताया कि लोनार झील में जल का स्तर अभी कम है क्योंकि बारिश नहीं होने से इसमें ताजा पानी नहीं भरा है। जलस्तर कम होने के कारण खारापन बढ़ा होगा और शैवाल की प्रकृति भी बदली होगी। (एजेंसियां) (Photo courtesy : ddnews.gov)

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