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महाराष्ट्र-हरियाणा के नतीजे अमित शाह को नई सोच वाले जननेता के रूप में स्थापित करेंगे? Inside story

महाराष्ट्र-हरियाणा के नतीजे अमित शाह को नई सोच वाले जननेता के रूप में स्थापित करेंगे? Inside story
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विकास सिंह

, सोमवार, 21 अक्टूबर 2019 (11:57 IST)
महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए हो रही वोटिंग को मोदी 2.0 सरकार की पहली अग्निपरीक्षा के तौर पर देखा जा रहा है। मोदी सरकार के लगातार दूसरी बार सत्ता में आने के चार महीने के अंतराल पर हो रहे इन दो बड़े राज्यों के चुनाव परिणाम मोदी सरकार के उन फैसलों पर अपनी मोहर लगाएंगे जिनके पीछे गृहमंत्री अमित शाह की बड़ी भूमिका मानी जा रही है। महाराष्ट्र और हरियाणा में भाजपा भले ही पीएम मोदी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ रही है लेकिन इस चुनाव में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और राष्ट्रवाद का मुद्दा बहुत ही जोर शोर से उठाया गया। वरिष्ठ पत्रकार शिवअनुराग पटैरिया कहते हैं कि महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनाव में जिस तरह मोदी के चेहरे के साथ राष्ट्रवाद का मुद्दा भी हावी रहा है वह संघ की एक सोची समझी रणनीति है। जिस तरह लोकसभा चुनाव में राष्ट्रवाद का प्रतिफल (जीत) भाजपा को मिला था उसको देखते हुए भाजपा अब इस मुद्दें को छोड़ना नहीं चाहती है। 
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मोदी से अधिक अमित शाह की रैली - महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव में अमित शाह भाजपा के स्टार चुनावी कैंपेनर के तौर पर दिखाई दिए। महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अधिक अमित शाह की रैली ने इस बात को तय कर दिया है कि भाजपा में अब पीएम मोदी के बाद अमित शाह ही सबसे बड़े चेहरे है और इस बात का साफ इशारा भी है कि मोदी के बाद भाजपा का अगला चेहरा गृहमंत्री अमित शाह ही होंगे। महाराष्ट्र में जहां प्रधानमंत्री नरेंद मोदी ने मात्र 10 चुनावी रैलियों को संबोधित किया वहीं गृहमंत्री और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने ताबड़तोड़ करीब 30 चुनावी रैलियों को संबोधित किया। वहीं हरियाणा में पीएम मोदी ने 7 चुनावी रैली को संबोधित किया तो अमित शाह ने 8 रैलियां को संबोधित किया, यह तब है जब चुनाव प्रचार के आखिरी दौर में पीएम मोदी ने पहले से तय 4 चुनावी रैलियों के अलावा 3 और रैलियों को संबोधित किया।  
शाह नई सोच वाले जननेता बन पाएंगे ? –  भाजपा के चुनावी चाणक्य माने जाने वाले अमित शाह पहली बार केंद्र की सत्ता में प्रभावी भूमिका निभा रहे है। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के पीछे गृहमंत्री अमित शाह की ही मुख्य भूमिका मानी जाती है। मोदी 2.0 सरकार में अमित शाह के कद का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि सरकार के अधिकतर मंत्री अपने कामकाज की रिपोर्ट देने के लिए अक्सर नॉर्थ ब्लॉक में गृहमंत्री शाह के दफ्तर जाते है। यह इस बात का भी इशारा है कि अब पीएम मोदी ने सरकार से जुड़े नीतिगत फैसलों की जिम्मेदारी अमित शाह को दे दी है। वरिष्ठ पत्रकार शिवअनुराग पटैरिया कहते हैं कि नरेंद्र मोदी और अमित शाह को अलग- अलग न देखकर एक ही माना जाना चाहिए। वह कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो कुछ भी सोचते है उसके सफलतावपूर्वक क्रियान्वयन की जिम्मेदारी अमित शाह की है। शिवअनुराग कहते हैं कि मोदी की पॉलिटिकल बिल (राजनीतिक इच्छाशक्ति ) को पूरा करने का काम गृहमंत्री अमित शाह बाखूबी कर रहे है।
 मोदी 2.0 सरकार ने जिस तरह ताबड़तोड़ फैसले लिए है इसके पीछे गृहमंत्री अमित शाह की बहुत बड़ी भूमिका मानी जा रही है। आज भाजपा के अंदर अमित शाह को देश के पहले गृहमंत्री सरदार पटेल के तौर पर देखा जाता है। इसलिए यह माना जा रहा है कि महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनावी परिणाम पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के फैसलों पर भ मोहर लगाएंगे और इन दोनों राज्यों के चुनाव परिणाम बहुत हद तक मोदी सरकार के अगले साढ़े चार साल के कामकाज करने के तरीके और गृहमंत्री अमित शाह को नई सोच वाले जननेता के रुप में स्थापित करेंगे। इसका इशारा खुद गृहमंत्री अमित शाह के उस बयान में मिलता है कि जिसमें उन्होंने नई सोच के साथ अपना इतिहास लिखने की बात कही है। 
 
 
 

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