प्रयागराज। महंत नरेंद्र गिरि ने अपने मठ बाघंबरी गद्दी में सोमवार की शाम कथित तौर पर आत्महत्या कर ली। पुलिस जांच में एक 8 पन्ने का सुसाइड नोट भी मिला है।
इसमें लिखा है कि वे आनंद गिरि के कारण विचलित हैं। उन्होंने लिखा है कि वे 13 सितंबर को ही आत्महत्या करना चाहते थे। सुसाइड नोट में लिखा है कि मेरी मौत की जिम्मेदारी मेरी आद्या तिवारी, आनंद गिरि और संदीप तिवारी की होगी।
लेटरपैट पर लिखे गए सुसाइड नोट में उन्होंने कई बार लिखकर मिटाया है। सुसाइड नोट में लड़की के फोटो के वायरल करने का जिक्र है। सुसाइड नोट में लिखा है कि हरिद्वार से सूचना मिली कि मुझे आनंद गिरि कम्यूटर से लड़की के साथ मेरी फोटो जोड़कर मुझे बदनाम करना चाहता है। मैं कहां तक सफाई दूंगा, मुझे बदनामी का डर। मैं 13 सितंबर को ही आत्महत्या करना चाहता था, लेकिन हिम्मत नहीं कर पाया। मैं जिस सम्मान से जी रहा हूं, अगर बदनाम हो गया तो कैसे जिऊंगा।
पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के सचिव और बाघंबरी गद्दी मठ के महंत नरेंद्र गिरि को सर्वसम्मति से पहली बार मार्च 2015 में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष चुना गया था जबकि बारा उन्हें अक्टूबर 2019 में अध्यक्ष चुना गया था। देश में कुल 13 अखाड़े हैं।
वर्ष 1954 में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की स्थापना हुई थी। अखाड़ा परिषद ही महामंडलेश्वर और बाबाओं को प्रमाणपत्र देती है। कुंभ और अर्ध कुंभ मेले में कौन अखाड़ा कब और किस समय स्नान करेगा, यह अखाड़ा परिषद ही तय करती है।