नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बढ़ती महंगाई को काबू में लाने के लिए बुधवार को प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 0.5 प्रतिशत बढ़ाकर 4.9 प्रतिशत कर दिया। आरबीआई के इस कदम से कर्ज महंगा होगा और कर्ज की मासिक किस्त यानी ईएमआई बढ़ेगी। इससे पहले, चार मई को आरबीआई ने अचानक से रेपो दर में 0.4 प्रतिशत की वृद्धि की थी। जानिए RBI की मौद्रिक नीति की 10 खास बातें...
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भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है, रिजर्व बैंक वृद्धि को समर्थन करता रहेगा
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भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 0.50 प्रतिशत बढ़ाकर 4.90 प्रतिशत किया।
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रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति के अनुमान को बढ़ाकर 6.7 प्रतिशत किया। पहले मुद्रास्फीति 5.7 प्रतिशत के स्तर पर रहने का अनुमान लगाया गया था।
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रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए 7.2 प्रतिशत की वृद्धि दर के अपने अनुमान को कायम रखा।
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रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि आरबीआई व्यवस्थित रूप से सरकारी के उधारी कार्यक्रम पर ध्यान दे रहा है।
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यूक्रेन में युद्ध से दुनिया भर में मुद्रास्फीति बढ़ी है।
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मुद्रास्फीति के ऊपर जाने का जोखिम बना हुआ है। हाल में टमाटर और कच्चे तेल के दामों में उछाल से मुद्रास्फीति बढ़ी है।
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महंगाई दर चालू वित्त वर्ष की पहली तीन तिमाहियों में 6 प्रतिशत से ऊपर बने रहने की आशंका।
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रिजर्व बैंक के गवर्नर ने डिजिटल भुगतान प्रणाली की पहुंच बढ़ाने के उपायों की घोषणा की। क्रेडिट कार्ड को यूपीआई मंच से जोड़ने का प्रस्ताव।
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शहरी सहकारी बैंकों को घरों तक बैंक से जुड़ी सुविधाएं देने की अनुमति। ग्रामीण सहकारी बैंकों को वाणिज्यिक रियल एस्टेट को कर्ज।
उल्लेखनीय है कि आरबीआई मौद्रिक नीति पर विचार करते समय मुख्य रूप से खुदरा महंगाई दर को ध्यान में रखता है। खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में आठ साल के उच्च स्तर 7.79 प्रतिशत रही। यह केंद्रीय बैंक के संतोषजनक स्तर से कहीं अधिक है।