नई दिल्ली। लद्दाख में भारत और चीन के बीच तनाव अब खत्म होता दिखाई दे रहा है। दोनों सेनाएं पीछे हट रही है। इस बीच भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी ने एक साक्षात्कार में कहा कि लद्दाख में भारत और चीन के बीच तनाव के दौरान दोनों देशों के बीच लगभग युद्ध की नौबत आ गई थी।
उत्तरी कमांड के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल जोशी ने लेह में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि साल 2020 में अगस्त के आखिर में लद्दाख के कैलाश रेंज में यह स्थिति पैदा हो गई थी। उन्होंने कहा, 'हम एकदम उस स्थिति में पहुंच चुके थे... युद्ध असल में टाला गया है।'
जोशी ने कहा कि गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच 15 जून को जो घटना घटी उसमें हताहतों की संख्या 45 तक हो सकती थी। इस झड़प में भारत के 20 जवान मारे गए थे जबकि चीन ने अपने मारे गए जवानों की संख्या सार्वजनिक नहीं की थी।
उन्होंने कहा कि 29-30 अगस्त को पैंगोग त्सो झील के दक्षिण में कैलाश रेंज हाइट्स पर कब्जा करके भारतीय जवानों ने चीनी सेना को चौंका दिया था और यहां तक कि वहां पर टैंक भी ले जाए गए थे जिससे सशस्त्र संघर्ष भी हो सकता था।
इसके बाद चीनी सेना भी ऊंचाइयों पर टैंक्स लेकर गई लेकिन भारतीय जवान टॉप पर टैंकों और रॉकेट लॉन्चर्स के साथ थे। हालांकि, इस दौरान संयम बरता गया।
लेफ्टिनेंट जनरल जोशी के अनुसार, बाद में चीन के तेवर नरम पड़ गए। जब अगले दौर की बातचीत हुई तो भारत का पलड़ा भारी रहा। उन्होंने कहा कि चीन के इतनी जल्दी कदम वापस खींचने की उम्मीद कम नहीं थी, लेकिन भारतीय फौज ने 29-30 अगस्त की रात को LAC पर जो किया था वह टर्निंग पॉइंट साबित हुआ।