Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

मैं जिन भावनाओं को समझता हूं उन्हें लिखता हूं-मोदी

मैं जिन भावनाओं को समझता हूं उन्हें लिखता हूं-मोदी
, गुरुवार, 17 सितम्बर 2020 (18:11 IST)
कोलकाता। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गुरुवार को 70 वर्ष के हो गए और भाजपा (BJP) ने इस अवसर पर उनके द्वारा करीब तीन दशक पहले लिखे गए पत्रों के संग्रह को जारी करने की घोषणा की है। मोदी ने ‘लेटर्स टू मदर’ (जगत जननी) को संबोधित पत्रों के इस संग्रह में अपने लक्ष्यों और चिंताओं के बारे में विस्तार से लिखा है।
 
मोदी ने स्वयं को पुस्तक में व्यक्त करते हुए कहा कि मैं कोई पेशेवर लेखक नहीं हूं, लेकिन मैं जिन भावनाओं और चीजों को समझता हूं उन्हें लिखता हूं।
 
प्रधानमंत्री ने इस पुस्तक में लिखा है कि मैं कोई लेखक नहीं हूं, हममें से अधिकतर लोग भी लेखक नहीं होते हैं और जब अपने मन के भीतर की भावनाओं और विचारों को प्रकट करने का मन करता है तो कागज और कलम उठाकर लिखने के अलावा हमारे पास कोई विकल्प नहीं रह जाता है। हम लिखते ही नहीं हैं बल्कि अपने दिल और दिमाग के भीतर चल रही चीजों का आत्मनिरीक्षण भी करते हैं कि ऐसा क्यों हो रहा है।
webdunia
मोदी जब भाजपा के केवल एक कार्यकर्ता थे तब 7 दिसंबर 1986 को उन्होंने ‘जगत जननी’ नाम को संबोधित करते हुए अपने लक्ष्यों और चिंताओं के संबंध में यह पत्र लिखे थे।
 
वर्ष 2014 में पहली बार इन पत्रों का प्रकाशन गुजराती भाषा में ‘साक्षी भाव’ संग्रह नाम से किया गया था। फिल्म आलोचक और लेखक भावना सोमाया ने इन पत्रों का अनुवाद अंग्रेजी भाषा में किया, जिसे हार्पर कॉलिन्स ने पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया है।
 
सुश्री सोमाया के अनुसार इन पत्रों का अनुवाद अंग्रेजी भाषा में करने के लिए जिस बात ने उन्हें सबसे अधिक प्रभावित किया वो यह थी कि प्रधानमंत्री ने यह पत्र उस समय लिखे थे जब वह न तो प्रधानमंत्री के पद पर थे और न ही मुख्यमंत्री के पद पर। इसके अलावा यह पत्र मातृ देवी को संबोधित किए गए थे। सुश्री सोमाया के मुताबिक प्रधानमंत्री की गुजराती भाषा पर काफी अच्छी पकड़ है और इन पत्रों में उन्होंने गुजराती के कई अनौपचारिक शब्दों का इस्तेमाल किया है।
 
सुश्री सोमाया की राय है कि लेखक के रूप में प्रधानमंत्री की वास्तविक शक्ति उनका भावनात्मक होना है। उनके भीतर एक प्रकार की बेचैनी है, जिसे वह नहीं छिपाना चाहते हैं और यही उनका आकर्षण है।
इन पत्रों को लिखने के बाद मोदी कुछ महीनों के भीतर इन्हें जलाकर नष्ट कर देते थे, लेकिन एक दिन राष्ट्रीय स्वयं सेवक (आरएसएस) के प्रचारक नरेन्द्र पंचासरा ने मोदी को ऐसा करने से रोका और कहा कि यह मूल्यवान दस्तावेज हैं, इन्हें जलाया मत कीजिए। भावना सिनेमा पर कई किताबें लिख चुकी हैं और उन्हें 2017 में पद्मश्री से भी नवाजा गया था।
 

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

IPL 2020 : विराट का वादा, IPL में खाली स्टेडियम के बावजूद हम जान लड़ाकर खेलेंगे