Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

बर्फीले रेगिस्तान लद्दाख में भारी पड़ रहा जलवायु परिवर्तन, 2 माह में 11 पर्यटकों की मौत

बर्फीले रेगिस्तान लद्दाख में भारी पड़ रहा जलवायु परिवर्तन, 2 माह में 11 पर्यटकों की मौत

सुरेश एस डुग्गर

, शनिवार, 18 जून 2022 (08:43 IST)
जम्मू। बर्फीले रेगिस्तान लद्दाख में आकर फटाफट टूरिज्म करने का सपना उन टूरिस्टों पर भारी पड़ रहा है जो जलवायु और मौसम के अनुसार तत्काल न ही अभ्यस्त हो पा रहे हैं और न ही अपने आपको ढाल पा रहे हैं। नतीजा सामने है। पिछले दो महीनों में ऐसे 11 टूरिस्टों की मौत हुई है जो अल्टीट्यूड सिकनेस का शिकार हो गए। हालांकि पिछले साल भी इस कारण 6 टूरिस्ट जान गंवा चुके हैं।
 
दरअसल थ्री इडियट्स की सफलता के बाद लद्दाख और उसके पहाड़ टूरिस्टों के लिए आकर्षण का केंद्र इस कद्र बन चुके हैं। आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2021 में कुल सवा तीन लाख टूरिस्ट आए थे। इसमें से सवा दो लाख हवाई जहाज से आए। यही समस्या की जड़ है।
 
webdunia
इस बार भी लद्दाख आने वालों में से 97 परसेंट ने हवाई जहाज का रास्ता अपनाया और लेह हवाई अड्डे पर पहुंचते ही फटाफट वाला टूरिज्म आरंभ कर दिया। नतीजा सामने था। कुल 15 टूरिस्टों की मौत पिछले दो महीनों में हो गई। इनमें से 11 अल्टीट्यूड सिकनेस अर्थात मौसम के अनुकूल अपने आपको न ढाल पाने के कारण मृत्यु का ग्रास बन गए।
 
जानकारी के लिए लद्दाख 15 से 18 फुट की ऊंचाई पर होने के कारण वहां आक्सीजन की कमी है। यही कारण है कि करगिल व चीन सीमा के मोर्चे पर तैनात किए जाने वाले सैनिकों को भी पहले 15 दिन लेह में रखा जाता है और फिर आगे भेजा जाता है। 
 
webdunia
टूरिस्ट लेह पहुंचते ही अगले ही दिन 18 हजार फुट पर स्थित पैंगांग लेक व खर्दुंगला व चांगला दर्रे के सैर सपाटे पर निकल जाते हैं जहां आक्सीजन की भारी कमी है। इसे लद्दाख आटोनोमस हिल काउंसिल के सीईओ सुसाइड मिशन कहते थे। उनका कहना था कि ऐसा करके हम अपनी मौत को बुलावा देते हैं।
 
अब जबकि जून के पहले दस दिनों के भीतर ही चार टूरिस्टों की मौत जलवायु में अभ्यस्त न हो पाने के कारण हुई तो लेह व करगिल के प्रशासन की ओर से चेतावनी जारी करनी पड़ी है।

आदेश के मुताबिक, आने वाले टूरिस्ट अब पहले दो दिन लेह कस्बे या फिर करगिल में होटल के इलाके के आसपास रह कर ही मौसम के अनुकूल अपने आपको ढालने का प्रयास करेंगें और उसके बाद वे आगे की यात्रा पर बढ़ेगें।

अर्थात अब लद्दाख आने वाले टूरिस्टों को अपने प्रोग्राम में दो और दिनों का इजाफा करना होगा जिसका उनके बजट पर भी असर पड़ेगा।

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

अग्निपथ योजना के विरोध में बिहार बंद, जहानाबाद में बवाल