नई दिल्ली। देश के 22 राज्यों में किसानों का 10 दिवसीय गांव बंद आंदोलन पहले ही दिन उग्र रूप लेता दिखाई दे रहा है। आंदोलन के पहले दिन पंजाब और महाराष्ट्र से विरोध की खबरें आ रही है।
पंजाब, मध्यप्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र में आंदोलन का असर दिखाई दे रहा है। पंजाब में किसानों द्वारा सड़कों पर दूध बहाने की तस्वीरें आ रही हैं। महाराष्ट्र के पुणे में भी प्रदर्शन की खबरें हैं। मध्यप्रदेश के कई जिलों में धारा 144 लागू कर दी गई है। यहां पिछले साल हुए हंगामें को देखते हुए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं।
पंजाब के फरीदकोट में किसानों ने सब्जियां, फल और दूध फेंककर इन वस्तुओं की शहरों में की जा रही आपूर्ति में बाधा डाली। किसान ऋण माफ करने और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें मानने की मांग कर रहे हैं।
राष्ट्रीय किसान मज़दूर महासंघ के अध्यक्ष के प्रमुख शिव कुमार शर्मा कक्काजी ने कहा कि 130 से ज्यादा किसान संगठन हमारे साथ हैं। यह देशव्यापी बंद है। हमने इसे 'गांव बंद' नाम दिया है। हम शहर नहीं जाएंगे और हम लोगों की सामान्य जिंदगी प्रभावित नहीं करना चाहते।
सब्जी और दूध की किल्लत : किसानों का दावा है कि आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण है। इस दौरान दूध, फल, अनाज और सब्जियां गांव से बाहर नहीं आएगी। किसानों को गिरफ्तार किया गया तो जेल भरो आंदोलन छेड़ा जाएगा।
क्या है आंदोलनकारियों की मांगें : आंदोलनकारी सभी फसलों पर लागत के आधार पर डेढ़ गुना लाभकारी मूल्य चाहते हैं। उनकी मांग है कि फल, सब्जी, दूध के दाम भी लागत के आधार पर डेढ़ गुना समर्थन मूल्य पर तय किए जाएं। वे चाहते हैं कि किसानों का पूरा ऋण माफ हो।
इंदौर में किसान आंदोलन का असर नहीं : किसान आंदोलन के पहले दिन इंदौर में जनजीवन सामान्य रहा। चोइथराम मंडी रोज की तरह चालू रही। वहीं शहर के क्षेत्रों में पुलिस की मौजूदगी में दूध भी आया।