Kashmiris worried due to attack on tourists in Kashmir : बारामुल्ला संसदीय क्षेत्र में मतदान से 2 दिन पूर्व कश्मीर में 2 आतंकी हमलों के पीछे का मकसद जहां मतदाताओं में डर पैदा करना है वहीं इस हमले में टूरिस्टों को निशाना बनाए जाने की घटना से कश्मीरी जनता चिंतित हो उठी है। उनकी चिंता ऐसे हमलों से पैदा होने वाले डर के कारण कश्मीर में पर्यटकों की आमद के ठहर जाने की है।
हालांकि सुरक्षाधिकारी कहते थे कि पाकिस्तान कश्मीर में बढ़े मतदान प्रतिशत से तिलमिला उठा है जिस कारण वह प्रत्येक चरण के मतदान के पूर्व मतदाताओं को डराने की खातिर ऐसे हमलों को अपने पिट्ठुओं के माध्यम से अंजाम दे रहा है। यही कारण था कि कल यानी सोमवार 20 मई को बारामुल्ला संसदीय क्षेत्र के मतदान से पूर्व हाईअलर्ट जारी करने के साथ ही एलओसी पर भारतीय सेना को अधिकतम सतर्कता बरतने के निर्देश इसलिए दिए गए हैं क्योंकि भारतीय पक्ष को आशंका है कि पाकिस्तान अपने कब्जे वाले कश्मीर में तनाव को कम करने व वहां की जनता का ध्यान डायवर्ट करने की खातिर गोलाबारी भी कर सकता है।
याद रहे कल देर रात आतंकियों ने शोपियां में भाजपा के समर्थक एक पूर्व सरपंच की गोली मारकर हत्या कर दी थी और उनकी हत्या से एक घंटा पहले ही एक आतंकी हमले में जयपुर का रहने वाला दंपति पहलगाम में हुए हमले में गंभीर रूप से जख्मी हो गया। इस हमले में जख्मी पति की हालत नाजुक बताई जा रही है।
दरअसल जैसे ही गर्मी ने शेष भारत को अपनी चपेट में ले लिया था, कश्मीर में पर्यटकों का प्रवाह बढ़ गया था और मई और जून के महीनों के लिए होटल पूरी क्षमता से भरे हुए हैं। एक सफल सर्दियों के मौसम के बाद, कश्मीर में पर्यटकों का प्रवाह बढ़ रहा था जो आतंकियों तथा उनके आका पाकिस्तान की किरकिरी बन गया था। हालांकि पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोगों को आने वाले महीनों में प्रवाह में और सुधार की उम्मीद थी जिस पर अब आतंकी हमले का काला साया पड़ गया है।
ट्रैवल एजेंट्स एसोसिएशन ऑफ कश्मीर (टीएएके) के अध्यक्ष रऊफ अहमद तरांबू ने बताया कि कश्मीर के सभी गंतव्यों में वर्तमान में अधिकांश होटल पर्यटकों से भरे हुए हैं। इस हमले से पहले तक वे कहते थे कि हम वर्तमान में पर्यटकों का निर्बाध प्रवाह देख रहे हैं। सर्दी के साथ-साथ वसंत का मौसम भी कश्मीर के पर्यटन क्षेत्र के लिए बहुत उत्साहजनक रहा है। हम बाकी महीनों तक प्रवाह जारी रहने की उम्मीद कर रहे हैं और पिछले पर्यटन रिकॉर्ड तोड़ने की उम्मीद करते हैं, पर अब यह उम्मीद टूटती दिखने लगी है।
कश्मीरियों को लगने लगा है कि अगर टूरिस्टों पर आतंकी हमलों में इजाफा हुआ तो उनके समक्ष एक बार फिर रोजी-रोटी का संकट पैदा हो जाएगा। दरअसल 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर के दो टुकड़े कर उनकी पहचान खत्म करने की कवायद के बाद से ही आतंकी ऐसे मौकों की तलाश में थे और अक्सर वे प्रवासी श्रमिकों को निशाना तो बनाते रहे थे पर उन्होंने पर्यटकों को हाथ नहीं लगाया था, पर अब पर्यटकों पर ताजा हमला सभी के लिए चिंता का विषय बन गया है।