नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने आईएनएक्स मीडिया में विदेशी निवेश मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम के पुत्र कार्ति चिदंबरम को शुक्रवार को राहत नहीं दी। कार्ति ने इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से जारी समन आदेश पर न्यायालय से रोक लगाने का अनुरोध किया था। लेकिन न्यायालय ने फिलहाल ऐसा करने से इंकार कर दिया है।
ईडी ने कार्ति को 1 मार्च को तलब किया है। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने ईडी के समन नोटिस पर रोक लगाने से इंकार किया। इससे पहले अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कार्ति की याचिका का पुरजोर विरोध करते कहा कि कार्ति कोई आम अपराधी नहीं हैं और न्यायालय को उनकी अर्जी पर सुनवाई नहीं करनी चाहिए। किसी को भी कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग करने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए।
मेहता ने दलील दी कि कार्ति ने सीबीआई के मामले में ही ईडी के समन को लेकर हस्तक्षेप अर्जी दाखिल की है जबकि दोनों केस अलग-अलग हैं इसलिए 1 मार्च के ईडी के समन पर न्यायालय को कोई आदेश जारी नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह एक तरह से अग्रिम जमानत का फैसला होगा।
एएसजी ने कहा कि वे ईडी के लिए नहीं, बल्कि सीबीआई के लिए पेश हुए हैं। वहीं कार्ति की ओर से पेश वरिष्ठ वकीलों कपिल सिब्बल और गोपाल सुब्रमण्यम ने दलील दी कि ईडी का मामला सीबीआई केस से ही सामने आया है इसलिए यह हस्तक्षेप अर्जी दाखिल की गई है।
उन्होंने दलील दी कि सीबीआई ने अभी तक कोई आरोप पत्र दाखिल नहीं किया गया है और उनके मुवक्किल को लगातार परेशान किया जा रहा है। कार्ति 9 मार्च को ईडी के समक्ष पेश हो सकते हैं इसलिए मौजूदा समन पर रोक लगाई जाए।
लेकिन शीर्ष अदालत ने कार्ति को इस मामले में अलग से याचिका दाखिल करने की सलाह दी और सुनवाई 6 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी। दरअसल, जूनियर चिदंबरम ने गुरुवार को सर्वोच्च न्यायालय में अर्जी दाखिल करके 1 मार्च को पूछताछ के लिए पेश होने के वास्ते ईडी द्वारा जारी समन आदेश पर रोक लगाने की मांग की थी। (वार्ता)