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राज्यसभा में जावड़ेकर बोले, हरियाणा में पराली जलाने के मामले घटे व पंजाब में बढ़े

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सोमवार, 8 फ़रवरी 2021 (16:44 IST)
नई दिल्ली। सरकार ने सोमवार को बताया कि हरियाणा में इस साल पराली जलाने के मामलों में 25 फीसदी की कमी आई जबकि पंजाब में ऐसे मामले 25 प्रतिशत बढ़े। राज्यसभा में पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने प्रश्नकाल के दौरान यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि हर साल पराली के कारण दिल्ली में 1 अक्टूबर से 30 नवंबर तक वायु प्रदूषण की समस्या उत्पन्न होती है। तब हवा की दिशा भी पूर्व की ओर होती है। इन सभी कारणों से स्मॉग होता है।
 
जावड़ेकर ने बताया कि इस समस्या से निपटने के लिए सरकार की ओर से बड़ी संख्या में मशीनें दी गईं जिनका पूरा उपयोग नहीं हो रहा है। हरियाणा में इस साल पराली जलाने के मामलों में 25 फीसदी की कमी आई जबकि पंजाब में यह 25 प्रतिशत बढ़ गया। वायु प्रदूषण में 2 से 40 फीसदी हिस्से का योगदान पराली जलाने की वजह से होता है। इस समस्या से निपटने के लिए पूसा संस्थान ने एक डी-कम्पोजर तैयार किया है।
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पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने यह भी बताया कि इंडियन ऑइल इसी तरह बायो-मिथिनेशन और बायोगैस तैयार करने के लिए प्रयासरत है। उम्मीद है कि आने वाले समय में यह प्रयोग बड़ा उपयोगी साबित होगा। एक अन्य पूरक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने बताया 122 शहरों में राष्ट्रीय स्वच्छ हवा कार्यक्रम लागू होगा। प्रदूषण के कारणों की हर शहर में मैपिंग अलग होती है इसलिए हर शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक भी अलग होता है।
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उन्होंने बताया कि दिल्ली में हर साल जाड़े में वायु गुणवत्ता का मुद्दा आता है। इसकी वजह प्रदूषण ही है।जावड़ेकर ने कचरे के कारण होने वाले प्रदूषण संबंधी पूरक प्रश्न के उत्तर में बताया कि प्रदूषण दूर करने के लिए कई तरह की पहल सरकार की ओर से की गई हैं। कचरे का पृथक्करण करने के बाद उसका चक्रीकरण करना और फिर उसका पुन: उपयोग करने के प्रयास किए जा रहे हैं। कुछ जगहों पर ऐसी पहल सफल रही हैं।
 

जैव चिकित्सकीय अपशिष्ट के प्रबंधन के बारे में पूछे गए एक पूरक प्रश्न के उत्तर में बारे में पर्यावरण मंत्री ने कहा कि इस बारे में समुचित दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। उन्होंने कहा कि कोविड-19 काल में पीपीई किट आदि की वजह से जैव चिकित्सकीय अपशिष्ट की मात्रा तेजी से बढ़ी लेकिन इनका समुचित तरीके से प्रबंधन भी किया गया है। (भाषा)

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