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जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 5 जजों की संविधान पीठ आज से करेगी सुनवाई

जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 5 जजों की संविधान पीठ आज से करेगी सुनवाई
, मंगलवार, 1 अक्टूबर 2019 (08:56 IST)
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को हटाने के केंद्र सरकार के फैसले की कानूनी वैधता से जुड़ी चुनौतियों पर सुप्रीम कोर्ट के 5 न्यायाधीशों की संविधान पीठ आज से सुनवाई करने वाली है।
 
प्रधान न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई ने अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई के लिए शनिवार को एक संविधान पीठ गठित की थी।
 
ये हैं पीठ के सदस्य : पीठ के सदस्यों में न्यायमूर्ति एनवी रमण, न्यायमूर्ति एसके कौल, न्यायमूर्ति आर. सुभाष रेड्डी, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत शामिल हैं। 28 अगस्त को इस मामले को एक बड़ी पीठ के पास भेजने का फैसला किया गया था। 
 
CJI की अध्यक्षता वाली पीठ ने जम्मू-कश्मीर में किए गए संवैधानिक बदलावों के बाद पैदा हुए मुद्दों से संबद्ध अन्य याचिकाओं पर विचार करते हुए सोमवार को कहा कि इस तरह के सभी मामलों पर न्यायमूर्ति रमण की अध्यक्षता वाली 3 न्यायाधीशों की पीठ अब निर्णय करेगी।
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सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई हैं कई याचिकाएं : जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करने के केंद्र के 5 अगस्त के फैसले को चुनौती देते हुए शीर्ष न्यायालय में कई याचिकाएं दायर की गई हैं। 
 
सोमवार को सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि उसने घाटी में नाबालिगों की अवैध हिरासत के बारे में जम्मू-कश्मीर सुप्रीम कोर्ट की किशोर न्याय समिति से एक रिपोर्ट प्राप्त की है। पीठ के सदस्यों में न्यायमूर्ति एसए बोबडे और न्यायमूर्ति एसए नजीर भी शामिल हैं। 
 
पीठ ने बाल अधिकार कार्यकर्ताओं का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील से कहा कि रिपोर्ट आ गई है। हम इस विषय को कश्मीर पीठ (न्यायमूर्ति रमण की अध्यक्षता में 3 न्यायाधीशों की पीठ) को भेजेंगे।
 
न्यायालय ने एक चिकित्सक द्वारा दायर एक अलग याचिका भी 3 न्यायाधीशों की पीठ को भेज दी है। चिकित्सक ने जम्मू-कश्मीर में पाबंदियों के चलते कश्मीर में मेडिकल सुविधाओं की कमी होने का दावा किया है।

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