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सुप्रीम कोर्ट पहुंचा जामिया हिंसा मामला, CJI बोले- रोकें हिंसा, सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान बर्दाश्त नहीं

सुप्रीम कोर्ट पहुंचा जामिया हिंसा मामला, CJI बोले- रोकें हिंसा, सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान बर्दाश्त नहीं
, सोमवार, 16 दिसंबर 2019 (11:51 IST)
नई दिल्ली। नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर कार्रवाई का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा गया है। वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह, सलमान खुर्शीद, कॉलिन गोंजाल्विस समेत कुछ वकीलों ने प्रदर्शन कर रहे छात्रों के खिलाफ हिंसा को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इस पर मुख्य न्यायधीश बोबड़े ने कहा कि हम इस मामले में कल मंगलवार को करेंगे, पहले हिंसा रुकना जरूरी है। सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान बर्दाश्त नहीं कर सकते।
वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि अलीगढ़ समेत पूरे देश में शांतिपूर्वक विरोध कर रहे छात्रों पर कार्रवाई की जा रही है, उनके साथ हिंसा हो रही है, उन्हें कोर्ट की सहायता चाहिए है, आप संज्ञान लें। इंदिरा जयसिंह ने आग्रह करते हुए कहा कि यह देशभर में मानवाधिकार उल्लंघन का बेहद गंभीर मामला है।
 
इस पर सीजेआई ने कहा कि हमें दिक्कत नहीं लेकिन जब हिंसा हो तो पुलिस क्या करे? सीजेआई ने कहा कि हम अधिकारों की बात तय करेंगे, लेकिन दंगों के माहौल में नहीं... इस सबको रुक जाने दीजिए, फिर हम स्वतः संज्ञान लेंगे... हम अधिकारों और शांतिपूर्ण प्रदर्शनों के खिलाफ नहीं हैं।
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जामिया में हुए बवाल पर दिल्ली पुलिस ने सरकारी प्रॉपर्टी में तोड़फोड़ और दंगा भड़काने के मामले में 2 एफआईआर दर्ज की हैं। सभी प्रदर्शनकारी छात्र थे या स्थानीय लोग भी थे, इसकी भी जांच की जा रही है। रविवार की हिंसा के बाद आग लगाने, दंगा भड़काने और सरकारी काम में बाधा उत्पन्न करने को लेकर जामिया नगर थाने और न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में मामला दर्ज किया गया है लेकिन फिलहाल यह साफ नहीं हो पाया है कि ए मामले किन लोगों के खिलाफ दर्ज किए गए हैं?पुलिस ने हिरासत में लिए छात्रों को छोड़ा :
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जामिया मिल्लिया इस्लामिया के हिरासत में लिए गए सभी छात्रों को रिहा करने के बाद पुलिस मुख्यालय के बाहर चल रहा छात्रों का प्रदर्शन सोमवार तड़के समाप्त हो गया। जामिया परिसर में जबरन घुसकर पुलिस द्वारा छात्रों के साथ की गई मारपीट के विरोध में जामिया, जवाहरलाल नेहरू और दिल्ली विश्वविद्यालय के सैकड़ों छात्रों ने पुलिस मुख्यालय के समक्ष रातभर प्रदर्शन किया।
 
प्रदर्शनकारी छात्र हिरासत में लिए गए छात्रों को तत्काल रिहा करने की मांग कर रहे थे। प्रशासन द्वारा उनकी मांगों को मानने और हिरासत में लिए गए छात्रों को रिहा करने के बाद छात्रों ने आज तड़के पुलिस मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन समाप्त कर दिया। उधर जामिया के मुख्य द्वार पर छात्र सुबह से अर्द्धनग्न होकर प्रदर्शन कर रहे थे। छात्रों का कहना था कि पुलिस ने उनके साथ बर्बरता की है इसलिए छात्र इंसाफ की मांग कर रहे हैं।
 
दहशत में छात्राएं छोड़ रही हैं होस्टल : जामिया में हालांकि सर्दी की छुट्टियां हैं, लेकिन परिसर में घुसकर पुलिस की कार्रवाई से छात्रों में दहशत पैदा हो गई है। वार्ता से बातचीत के दौरान कुछ छात्राएं रोने लगीं और कहा कि पुलिस ने जिस बर्बरता के साथ जामिया परिसर और पुस्तकालय में घुसकर तांडव मचाया, उससे हम लोगों में भय का माहौल है। छात्रावास की छात्राओं ने कहा कि जितनी जल्दी यह सब हुआ, उसके कारण वे अपने अपने घर जाने की तैयारी कर रही हैं।
 
कुछ छात्र-छात्राओं ने कहा कि पुलिस बर्बरता और नागरिकता कानून के खिलाफ उनका आंदोलन जारी रहेगा। उधर जामिया प्रशासन ने छात्रों से संयम बरतने की अपील की है।
 
यहां रविवार को हुई हिंसा में घायलों में 3 छात्र और 1 पुलिसकर्मी अस्पताल में भर्ती हैं। इसके अलावा कई छात्रों का इलाज वार्ड में चल रहा है। जामिया नगर इलाके में अब भी तनाव बरकरार है। जामिया के छात्रों पर पुलिस बर्बरता के खिलाफ देशभर के कई विश्वविद्यालयों में छात्र आंदोलन कर रहे हैं। (एजेंसियां)

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