नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को केन्द्र को स्पष्ट कर दिया कि फरवरी, 2012 में केरल तट से दूर दो भारतीय मछुआरों को गोली मारने के आरोपी 2 इतालवी नाविकों के मामले को बंद करने की उसकी अर्जी पर पीड़ित परिवारों का पक्ष सुने बगैर कोई आदेश नहीं दिया जाएगा जिन्हें समुचित मुआवजा दिया जाना चाहिए।\
प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी. रामासुब्रमणियन की पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से केन्द्र की अर्जी पर सुनवाई के दौरान सालिसीटर जनरल तुषार मेहता को यह स्पष्ट किया।
पीठ ने केन्द्र को इस घटना में मारे गए मछुआरों के परिवार के सदस्यों को पक्षकार बनाते हुए इतालवी नाविकों का मामला बंद करने के लिए आवेदन दायर करने की अनुमति दी। पीठ ने केन्द्र को मामला बंद करने के लिए नए आवेदन में पीड़ितों के परिवारों को पक्षकार बनाते हुए एक सप्ताह के भीतर इसे दायर करने की अनुमति दे दी।
मेहता ने पीठ को सूचित किया कि इटली सरकार ने भारत सरकार को यह आश्वासन दिया है कि वह इन नाविकों पर मुकदमा चलाएगी। इस घटना का शिकार हुए मछुआरों के परिवारों को समुचित मुआवजा दिए जाने पर जब पीठ ने जोर दिया तो मेहता ने कहा कि केन्द्र यह सुनिश्चित करेगा की पीड़ित परिवारों को अधिकतम मुआवजा दिया जाए।
इस मामले की सुनवाई शुरू होते ही पीठ ने इन नाविकों पर मुकदमा चलाने के लिए उठाए गए इटली के कदमों की सराहना की लेकिन न्यायालय ने कहा कि वह पीड़ित परिवारों के लिए समुचित मुआवजे के विषय पर बात कर रही है जो पीड़ित परिवारों को दिया जाना चाहिए।
पीठ ने कहा, हम चाहते हैं कि पीड़ित परिवार को पर्याप्त मुआवजा दिया जाए।शीर्ष अदालत ने विशेष अदालत में इतालवी नाविकों का मामला लंबित होने का जिक्र किया और सवाल किया कि वहां मुकदमा वापस लेने के लिए आवेदन के बगैर केन्द्र कैसे मामला बंद कराने के लिए यहां आ सकता है। मेहता ने जवाब दिया कि शीर्ष अदालत ने पहले कहा था कि विशेष अदालत की कार्यवाही विलंबित रखी जाए।
पीठ ने कहा, आप वहां मुकदमा वापस लेने का आवेदन कर सकते हैं। पीड़ित परिवारों को इसका विरोध करने का अधिकार है। पीड़ितों के परिवार यहां पक्षकार भी नहीं हैं। हम पीड़ित परिवारों को सुने बगैर कोई आदेश पारित नहीं करेंगे।
केन्द्र ने तीन जुलाई को शीर्ष अदालत में इतालवी नाविकों के खिलाफ चल रही कार्यवाही बंद करने के लिए एक आवेदन दायर किया था। केन्द्र ने कहा था कि उसने हेग स्थित पंचाट की स्थाई अदालत का 21 मई, 2020 का फैसला स्वीकार कर लिया है कि भारत इस मामले में मुआवजा पाने का हकदार है लेकिन नाविकों को प्राप्त छूट की वजह से वह इन पर मुकदमा नहीं चला सकता।
भारत ने इटली के तेल टैंकर एमवी एनरिका लेक्सी पर तैनात दो इतालवी नाविकों (सल्वाटोरे गिरोने और मैस्सीमिलियानो लटोरे) पर भारत के आर्थिक क्षेत्र में 15 फरवरी 2012 को मछली पकड़ने वाली नौका में सवार दो भारतीय मछुआरों की गोली मारकर हत्या करने का आरोप लगाया था।
इन इतावली नाविकों के खिलाफ मछली पकड़ने वाली नौका ‘सेंट एंटनी’ के मालिक फ्रेडी ने शिकायत दर्ज कराई थी कि इन नाविकों द्वारा गोली चलाए जाने के कारण केरल के दो मछुआरों की मौत हो गई है।(भाषा)