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Gaganyaan Mission : गगनयान मिशन के लिए इसरो तैयार, शनिवार सुबह 8 बजे उड़ान

Gaganyaan Mission
श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश) , शुक्रवार, 20 अक्टूबर 2023 (20:57 IST)
ISRO ready for Gaganyaan mission : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) शनिवार को एकल-चरण तरल प्रणोदक वाले रॉकेट के प्रक्षेपण के जरिए मानव को अंतरिक्ष में भेजने के अपने महत्वाकांक्षी कार्यक्रम 'गगनयान' की दिशा में आगे बढ़ेगा। इस दौरान, प्रथम 'क्रू मॉड्यूल' के जरिए अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का परीक्षण किया जाएगा।
 
इसरो का लक्ष्य तीन दिवसीय गगनयान मिशन के लिए मानव को 400 किलोमीटर की पृथ्वी की निचली कक्षा में अंतरिक्ष में भेजना और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाना है। इसरो के अन्य मिशन से इतर अंतरिक्ष एजेंसी अपने परीक्षण यान एकल चरण प्रणोदन वाले तरल रॉकेट (टीवी-डी1) के सफल प्रक्षेपण का प्रयास करेगी, जिसे 21 अक्टूबर को सुबह आठ बजे इस अंतरिक्ष केंद्र के प्रथम प्रक्षेपण स्थल से उड़ान भरने के लिए निर्धारित किया गया है।
 
इस ‘क्रू मॉड्यूल’ के साथ परीक्षण यान मिशन, समग्र गगनयान कार्यक्रम के लिए एक मील का पत्थर है क्योंकि उड़ान परीक्षण के लिए लगभग पूरी प्रणाली एकीकृत है।
 
इस बीच, सूत्रों ने शुक्रवार को कहा कि यहां सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के वैज्ञानिक प्रक्षेपण से पहले उलटी गिनती की तैयारी कर रहे हैं, जो शुक्रवार रात या शनिवार तड़के शुरू होने की उम्मीद है। इस परीक्षण उड़ान की सफलता शेष परीक्षणों और मानवरहित मिशन के लिए मंच तैयार करेगी, जिससे भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के साथ पहला गगनयान कार्यक्रम शुरू होगा, जिसके 2025 में आकार लेने की उम्मीद है।
 
‘क्रू मॉड्यूल’ रॉकेट में पेलोड है, और यह अंतरिक्ष यात्रियों के लिए अंतरिक्ष में पृथ्वी जैसे वातावरण के साथ रहने योग्य जगह है। इसमें एक दबावयुक्त धात्विक 'आंतरिक संरचना' और 'थर्मल सुरक्षा प्रणालियों' के साथ एक बिना दबाव वाली 'बाहरी संरचना' शामिल है।
 
इसमें क्रू इंटरफेस, जीवन रक्षक प्रणाली, वैमानिकी और गति में कमी से जुड़ी प्रणाली (डिसेलेरेशन सिस्टम) मौजूद हैं। नीचे आने से लेकर उतरने तक के दौरान चालक दल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इसे पुन: भेजने के लिए भी डिजाइन किया गया है।
 
चेन्नई से लगभग 135 किलोमीटर पूर्व में स्थित श्रीहरिकोटा में प्रक्षेपण परिसर में एकीकृत किए जाने से पहले क्रू मॉड्यूल को इसरो के केंद्रों में विभिन्न परीक्षण से गुजरना पड़ा। शनिवार को संपूर्ण परीक्षण उड़ान कार्यक्रम संक्षिप्त रहने की उम्मीद है, क्योंकि ‘टेस्ट व्हीकल एबॉर्ट मिशन’ (टीवी-डी1) क्रू एस्केप सिस्टम और क्रू मॉड्यूल को 17 किमी की ऊंचाई पर प्रक्षेपित करेगा, जिसके श्रीहरिकोटा के पूर्वी तट से लगभग 10 किमी दूर समुद्र में सुरक्षित उतरने की उम्मीद है।
 
बाद में बंगाल की खाड़ी से नौसेना द्वारा इन्हें खोज कर निकाला जाएगा। टीवी-डी1 यान एक संशोधित ‘विकास’ इंजन का उपयोग करता है जिसके अगले सिरे पर ‘क्रू मॉड्यूल’ और यात्री बचाव प्रणाली लगी होती है। रॉकेट 34.9 मीटर लंबा है और इसका भार 44 टन है।
 
टीवी-डी1 उड़ान एक ‘सिम्युलेटेड थर्मल सुरक्षा प्रणाली’ के साथ एकल-दीवार वाली बिना दबाव वाली एल्यूमीनियम की संरचना है। परीक्षण वाहन डी1 मिशन का लक्ष्य नए विकसित परीक्षण वाहन के साथ चालक बचाव प्रणाली की रॉकेट से अलग होने और सुरक्षित वापसी की क्षमता को प्रदर्शित करना है।
 
मिशन के कुछ उद्देश्यों में उड़ान प्रदर्शन और परीक्षण वाहनों का मूल्यांकन, चालक बचाव प्रणाली, क्रू मॉड्यूल विशेषताएं, और अधिक ऊंचाई पर गति नियंत्रण शामिल हैं। इस अभियान के माध्यम से, वैज्ञानिकों का लक्ष्य चालक दल की सुरक्षा सुनिश्चित करना है, जिन्हें वास्तव में गगनयान मिशन के दौरान एलवीएम-3 रॉकेट से ‘क्रू मॉड्यूल’ में भेजा जाएगा। शनिवार को टीवी-डी1 के परीक्षण के साथ वैज्ञानिकों ने परीक्षणों की एक श्रृंखला भी तैयार की है।(भाषा)
Edited By : Chetan Gour 

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