Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

Israel–Hamas war: जो जिंदा बच जाएंगे उन्‍हें मानवता पर भरोसा करने में सदियां लग जाएंगी

Israel-Palestine War
webdunia

नवीन रांगियाल

  • दुर्भाग्‍य से इंसान का एक आविष्कार युद्ध भी है
  • युद्ध की ऐसी विभीषिका को दुनिया के किस पैमाने से नापा जाए?
  • लाशों के मलबे में ब्रेड का एक पैकेट खोजते बच्‍चों को देखकर देह और आत्‍मा दोनों रो पड़ते हैं..
चीख-पुकार। चीत्कार। जान बचाने की गुहार। अपनों की लाशों को क्षत-विक्षत हालत में देखने का असहनीय दर्द। जहां विलाप भी अपने चरम पर पहुंच जाए। जहां रुलाई खत्‍म हो जाए। जहां आंखें पत्‍थर हो जाएं। चारों तरफ मौत का मंजर। जहां तक नजर जाए वहां तक सिर्फ मौत का मलबा ही मलबा। दर्द का गुबार ही गुबार। जहां मानवता भी रो पड़ी हो और जहां लाशें देख-देखकर मौत भी थक चुकी हो। वहां और कितनी बर्बरता और क्रूरता बरती जा सकती है?
इस भयावह अमानवीय मंजर में अगर कुछ आम लोग किसी अस्‍पताल की छत के नीचे सांस रोककर अपनी जान बचाने की कोशिश कर रहे हों और अपना इलाज करा रहे हों और उन पर बमों और मिसाइलों की बारिश हो जाए तो युद्ध की ऐसी विभीषिका को दुनिया के किस पैमाने से नापा जा सकता है?

बर्बरता को कितना बर्बर कहा जाए कि वो बर्बरता साबित हो सके। क्रूरता को कितना क्रूर कहा जाए कि क्रूर साबित हो सके।

इजराइल-हमास की सीमा पर पसरे आतंक के मंजर में मौत का एक और नया मंजर शामिल हो गया। जहां गाजा के एक अस्‍पताल अल अहली में शरण ले रहे और इलाज करा रहे हजारों आमजनों के ऊपर मिसाइलें दाग दीं गईं। 500 लोगों की मौत का दावा है। जिनमें जाहिर तौर पर महिलाएं, बच्‍चे और बुर्जुग होंगे।
webdunia

ये लोग वहां अस्‍पताल में अपना इलाज कराने के साथ ही ऊपर आसमान की तरफ देखकर ऊपर वाले से जिंदगी के लिए और इस आतंक के खत्‍म होने की दुआएं मांग रहे थे। लेकिन उन्‍हें क्‍या पता था कि आसमान से उनकी जिंदगी पर तबाही बरसेगी।

500 लोगों की मौत के बाद इजरायल और हमास इस हमले के लिए एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। क्‍या सच है और क्‍या झूठ यह तो हमास और इजराइल ही जानते हैं, लेकिन सवाल यह है कि एक युद्ध में बर्बरता और क्रूरता की पराकाष्‍ठा क्‍या हो सकती है?

वैश्‍विक स्‍तर पर चल रहे किसी युद्ध में ज्‍यादा से ज्‍यादा क्‍या हो सकता है? अपने दुश्‍मन जवान की गोली दागकर उसकी हत्‍या कर देना। या दुश्‍मनों पर मिसाइल और बम गिराकर मौत के घाट उतार देना।

लेकिन जहां पहले से तबाही मची हो, जहां पहले से मौत का बवंडर पसर रहा हो, जहां मौत भी लोगों को मार-मार कर थक गई हो। वहां और कितना अमानवीय हुआ जा सकता है, वहां और कितना क्रूर हुआ जा सकता है? एक युद्ध की विभीषिका क्‍या और कितनी हो सकती है?

इजराइल और हमास की जंग में आ रहीं तस्‍वीरें और वीडियो को देख-देखकर आंखें और आत्‍मा दोनों थक चुके हैं। बच्‍चों की आत्‍मा चीर देने वाली रुलाई। औरतों का चीत्कार और बुर्जुगों की बेबसी ने दुनिया की हर अच्‍छी चीज से भरोसा उठा दिया है। कितने ही बच्‍चे लावारिस हो गए हैं, कितने ही बेघर। मिसाइलों और उसके बारूद के मलबे में अपने लिए एक ब्रेड का पैकेट खोजते बच्‍चों को देखकर देह और आत्‍मा दोनों रो पड़े हैं। महिलाएं, युवतियां कहां जाएंगी, बच्‍चे कहां जाएंगे? बुर्जुग कहां आसरा ढूढेंगे?

इंसानों के साथ ही कुत्‍ते, बिल्‍लियां और तमाम जीवों और जानवर मौत का जो भयावह मंजर देख रहे हैं, उससे सबकी रूह कांप गई है। युद्ध की इस विभीषिका के बाद जो लोग और जीव जिंदा रह जाएंगे, उनकी रूह को दुनिया पर भरोसा करने में शायद सदियां लग जाएंगी।

कहा जाता है कि मनुष्‍य को आदि-मानव से इंसान बनने में एक लंबा वक्‍त लगा है। मानव विकास क्रम के बाद दुनिया ने कई तरह के आविष्कार किए हैं, दुर्भाग्‍य है कि इनमें से इंसान का एक आविष्कार युद्ध भी है।


Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

क्या शिवराज सिंह चौहान का मास्टर स्ट्रोक भाजपा को सत्ता में करा पाएगा वापसी?