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भारतीय मुस्लिम भारतीय थे, हैं और रहेंगे : अमित शाह

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बुधवार, 11 दिसंबर 2019 (13:51 IST)
CitizenshipAmmendmentBill2019
नई दिल्ली। गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को नागरिकता संशोधन विधेयक चर्चा एवं पारित करने के लिए राज्यसभा में पेश करते हुए कहा कि भारत के मुसलमान भारतीय नागरिक थे, हैं और बने रहेंगे।
 
पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के गैर मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने के प्रावधान वाले इस विधेयक को पेश करते हुए उच्च सदन में गृहमंत्री ने कहा कि इन तीनों देशों में अल्पसंख्यकों के पास समान अधिकार नहीं हैं।
 
उन्होंने कहा कि इन देशों में अल्पसंख्यकों की आबादी कम से कम 20 फीसदी कम हुई है। इसकी वजह उनका सफाया, भारत प्रवास तथा अन्य हैं। शाह ने कहा कि इन प्रवासियों के पास रोजगार और शिक्षा के अधिकार नहीं थे। शाह ने कहा कि विधेयक में उत्पीड़न का शिकार हुए अल्पसंख्यकों को नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है।
 
इस विधेयक में अफगानिस्तान, बांग्लादेश एवं पाकिस्तान से आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी एवं ईसाई शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान है। इस विधेयक को सोमवार को लोकसभा ने पारित किया। उच्च सदन में कई विपक्षी सदस्यों ने इस विधेयक को प्रवर समिति में भेजने के लिए प्रस्ताव दिया है।
 
विधेयक पर चर्चा होने के बाद इसे पारित करते समय इन प्रस्तावों के बारे में निर्णय किया जाएगा। शाह ने इस विधेयक के मकसदों को लेकर वोट बैंक की राजनीति के विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि भाजपा ने 2019 के आम चुनाव के लिए अपने घोषणा पत्र में इसकी घोषणा की थी और पार्टी को इसी पर जीत मिली थी।
 
उन्होंने कहा कि मुस्लिमों को चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि वे भारत के नागरिक हैं और बने रहेंगे। शाह ने कहा कि भाजपा असम के लोगों के हितों की रक्षा करेगी।
 
गृहमंत्री जब असमी लोगों के हितों की रक्षा की बात कर रहे थे तो राज्यसभा का टीवी प्रसारण कुछ समय के लिए रोक दिया गया क्योंकि विपक्षी सदस्यों ने बीच में टोकाटोकी शुरू कर दी। इस विधेयक में पड़ोसी देशों के मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान नहीं है, जिसके कारण देश के विभिन्न हिस्सों में विरोध हो रहा है।
 
ALSO READ: Live : Citizenship Amendment Bill : नागरिकता संशोधन विधेयक राज्यसभा में पेश
 
परेशानी की असली वजह : 900 वैज्ञानिकों एवं विद्वानों ने एक संयुक्त वक्तव्य जारी कर कहा है कि भारतीय नागरिकता के निर्धारण के लिए धर्म को कानूनी आधार बनाया जाना बहुत ही परेशान करने वाला है।
 
नागरिकता संशोधन विधेयक इस साल जनवरी में भी लाया गया था और लोकसभा में पारित हो गया था। किंतु 16वीं लोकसभा की अवधि समाप्त हो जाने के कारण यह राज्यसभा में पारित नहीं हो पाया था। मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में अब इसे फिर ले कर आई है।

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