नई दिल्ली। सेना ने जवानों की जल्द पदोन्नति का मार्ग प्रशस्त करते हुए लगभग तीन दशक बाद कैडर समीक्षा के प्रस्ताव को मंजूरी दी है, जिससे लगभग डेढ़ लाख जवानों को फायदा होगा।
सेना के अनुसार जवानों के कैडर की समीक्षा पहली बार 1979 में की गई थी और उस समय 1 लाख 52 हजार 398 जवानों को इसका लाभ मिला था। दूसरी समीक्षा वर्ष 1984 में हुई थी, जिसमें केवल 22000 जवानों को फायदा हुआ था। तीसरी समीक्षा 33 वर्षों के बाद की जा रही है।
सूत्रों के अनुसार अभी सेना में केवल 24 प्रतिशत जवानों को ही पदोन्नति मिलती है और बाकी बिना प्रमोशन के ही रिटायर हो जाते हैं। केन्द्रीय कार्मिक और पेंशन मंत्रालय के अनुसार कैडर की समीक्षा हर पांच वर्ष में होनी चाहिए।
बड़ी संख्या में जवानों के बिना प्रमोशन के सेवा निवृत होने के मद्देनजर सेना ने वर्ष 2009 में इसकी प्रक्रिया शुरू की थी और दो वर्ष बाद इसका खाका तैयार हो पाया था। सूत्रों ने बताया कि इसे अंतिम रूप दिए जाने के बाद रक्षा मंत्रालय ने इसे वित्त मंत्रालय की मंजूरी के लिए भेजा था, जिसने सितम्बर 2014 में इस प्रस्ताव को वापस लौटा दिया।
अब इस प्रस्ताव को गत मई में दोबारा वित्त मंत्रालय में भेजा गया है। रोचक बात यह है कि पिछले आठ साल से जिस कैडर समीक्षा के प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिल पा रही है उससे केवल 20 करोड रुपए का बोझ बढने का अनुमान है।
तीसरे कैडर की समीक्षा के तहत जूनियर कमीशन अधिकारियों की पदोन्नति 8 से बढकर 9 प्रतिशत, हवलदार की 18 से 25 फीसदी, नायक की 17 से 20 प्रतिशत होने जबकि लांस नायक की 56 प्रतिशत से घटकर 46 फीसदी होने का अनुमान है। इससे सूबेदारों के 7700, नायब सूबेदार के 13,500, हवलदार के 58,500 और नायक के 65,000 पद सर्जित होंगे। सेना के अनुसार इस पूरी प्रक्रिया में लगभग पांच वर्ष का समय लगेगा। (वार्ता)