नई दिल्ली। कश्मीर में मानवाधिकारों के कथित हनन को लेकर पाकिस्तान की टिप्पणी पर जवाब देते हुए भारत ने कहा कि पहले पाकिस्तान को अपनी धरती पर पनप रहा आतंकवाद रोकना चाहिए।
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया। पाकिस्तान ने महिला अलगाववादी नेता सईदा आशिया अन्द्राबी को तिहाड़ जेल भेजे जाने और हुर्रियत नेताओं शब्बीर अहमद शाह और मसर्रत आलम भट को हिरासत में लिए जाने पर भी चिंता जताई थी।
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने एक सवाल के जवाब में कहा, कभी-कभी वह भूल जाते हैं कि वह जो उपदेश देते हैं, उसका स्वयं पालन नहीं करते। हमने बार-बार उनसे कहा है कि आतंकवाद का समर्थन करना बंद करो, पाकिस्तान की धरती से गतिविधियां चलाने वाले आतंकवादियों का समर्थन करना बंद करो।
इस पर उन्होंने कभी कोई कार्रवाई नहीं की। इस पर हमारा रुख स्पष्ट और अटल है। मीडिया में आई खबरों के अनुसार, पिछले महीने आई संयुक्त राष्ट्र मानवधिकार आयोग की जिस रिपोर्ट में कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन का दावा किया गया है, उसे तैयार करने के दौरान आयोग के प्रमुख लगातार पाकिस्तानी मूल के एक कनाडाई पत्रकार के संपर्क में थे।
पत्रकार ने स्वयं यह दावा किया है। इस पर कुमार ने कहा, हम इस रिपोर्ट की मंशा पर भी सवाल उठा रहे हैं। इस दस्तावेज में अधिकारी का पूर्वाग्रह स्पष्ट नजर आ रहा है, जो बिना किसी जनादेश के काम कर रहे हैं और सूचनाओं के लिए अपुष्ट सूत्रों पर भरोसा कर रहे हैं।
जो रिपोर्ट आई है वह पूर्वाग्रहों से ग्रस्त है। यह स्पष्ट रूप से भेदभावपूर्ण है। पाकिस्तान के पहले सिख पुलिस अफसर गुलाब सिंह शाहीन को सरकार के साथ संपति विवाद के बाद मकान से बेदखल किए जाने के संबंध में सवाल करने पर कुमार ने कहा कि भारत इसकी घोर निंदा करता है। (भाषा)