नई दिल्ली। पाकिस्तान में इमरान खान की नई सरकार बनने के बाद भारत और पाकिस्तान दोनों के बीच चर्चा होगी, लेकिन बातचीत का मुद्दा कश्मीर नहीं, बल्कि सिंधु जल समझौता रहेगा।
न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक स्थायी सिंधु आयोग (पीआईसी) की इस मुलाकात के दौरान भारत के दल का नेतृत्व पीके सक्सेना और पाकिस्तान का पक्ष रखने के लिए सैयद मेहर अली शाह मौजूद रहेंगे। अगले हफ्ते इस्लामाबाद में यह चर्चा होगी।
क्या है सिंधु जल समझौता : 1947 में स्वतंत्रता मिलने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच पानी को लेकर दोनों देशों के बीच खूब खींचतान चली और नहरों के पानी पर खूब विवाद हुआ। विभाजन के बाद नहरों के पानी को लेकर पाकिस्तान सशंकित हो गया था।
1949 में एक अमेरिकी एक्सपर्ट डेविड लिलियेन्थल ने इस समस्या को राजनीतिक की जगह तकनीकी तथा व्यापारिक स्तर पर सुलझाने की सलाह दी। लिलियेन्थल ने सलाह दी कि दोनों देश विश्व बैंक से सहायता ले सकते हैं।
सितंबर 1951 में विश्व बैंक के अध्यक्ष यूजीन रॉबर्ट ब्लैक ने मध्यस्थता करना स्वीकार भी कर लिया। वर्षों तक चली बातचीत के बाद 19 सितंबर 1960 को भारत और पाकिस्तान के बीच जल पर जो समझौता हुआ, उसे 1960 की 'सिन्धु जल संधि' कहा जाता है।
नेहरू और अयूब खान ने किए थे संधि पर हस्ताक्षर : संधि पर भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति अयूब खान ने रावलिपिंडी में हस्ताक्षर किए थे। 12 जनवरी 1961 से संधि की शर्तें लागू कर दी गई थी।
संधि के तहत 6 नदियों के पानी का बंटवारा तय हुआ, जो भारत से पाकिस्तान जाती हैं। 3 पूर्वी नदियों (रावी, व्यास और सतलज) के पानी पर भारत का पूरा हक दिया गया। बाकी 3 पश्चिमी नदियों (झेलम, चिनाब, सिंधु) के पानी के बहाव को बिना बाधा पाकिस्तान को देना था। संधि में तय मानकों के मुताबिक भारत में पश्चिमी नदियों के पानी का भी प्रयोग किया जा सकता है। इनका करीब 20 प्रतिशत हिस्सा भारत के लिए है।
यह है विवाद : पाकिस्तान वर्ल्ड बैंक के सामने जम्मू-कश्मीर में भारत के किशनगंगा और राटले पनबिजली परियोजना का मुद्दा कई बार उठा चुका है। पाकिस्तान ने रातले, किशनगंगा सहित भारत द्वारा बनाए जा रहे 5 पनबिजली परियोजनाओं के डिजाइन को लेकर चिंता जाहिर की थी और वर्ल्ड बैंक से कहा था कि ये डिजाइन सिंधु जल समझौते का उल्लंघन करते हैं।
इन परियोजनाओं को लेकर पाकिस्तान ने साल 2016 में विश्व बैंक को शिकायत कर पंचाट के गठन की मांग की थी। पाकिस्तान लगातार जम्मू-कश्मीर में निर्माणाधीन जलविद्युत परियोजनाओं का विरोध कर रहा है। पाकिस्तान का कहना है कि ये योजनाएं भारत के साथ हुए सिंधु जल समझौते के अनुरूप नहीं हैं। इस पर भारत का कहना है कि परियोजनाएं समझौते का उल्लंघन नहीं करती है और विश्व बैंक को एक निष्पक्ष विशेषज्ञ नियुक्त करना चाहिए।