नई दिल्ली। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय को स्कूली पाठ्यक्रम में सभी धर्मों की किताबें शामिल करने और नैतिक शिक्षा देने के सुझाव दिए हैं ताकि छात्रों के बीच धार्मिक सहनशीलता को बढ़ावा मिल सके।
मेनका ने हाल में हुई केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (सीएबीई) की 65वीं बैठक में ये सुझाव दिए। सीएबीई शिक्षा के क्षेत्र में निर्णय करने वाली सर्वोच्च संस्था है।
बैठक के एक आधिकारिक दस्तावेज के मुताबिक अलग-अलग धर्मों के छात्रों के बीच धार्मिक सहनशीलता को बढ़ावा देने के लिए मंत्री (गांधी) ने नैतिक शिक्षा की कक्षाएं आयोजित करने और सभी धर्मों की किताबें पढ़ाने के सुझाव दिए ताकि छात्र अन्य धर्मों को अहिमयत देना शुरू करें।
सीएबीई की बैठक में मौजूद रहे ओडिशा के शिक्षामंत्री बद्रीनारायण पात्रा ने पाठ्यक्रम में इस तरह सुधार करने का सुझाव दिया ताकि धार्मिक सहनशीलता और देशभक्ति की भावना को मजबूती मिल सके। बैठक के दौरान ये सुझाव भी दिए गए कि स्कूलों में मध्याह्न भोजन में शाकाहारी भोजन दिया जाए, कक्षा में हाजिरी के दौरान छात्रों को 'यस' या 'नो' की बजाय 'जय हिन्द' कहने का निर्देश दिया जाए और एनसीईआरटी के सिलेबस को नई रूपरेखा दी जाए ताकि मूल्य एवं संस्कृति आधारित शिक्षा सुनिश्चित की जा सके। (भाषा)